(फाइल फोटो।)
झाबुआ। जिले में कई ऐसे गांव भी हैं जहां अब भी अच्छी बारिश के लिए अलग-अलग टोटके किए जाते हैं। इस साल पूरे प्रदेश में अच्छा मानसून रहा है। आदिवासियों की प्रथाओं की बात मानी जाए तो ये सब बारिश के पहले किए अनुष्ठानों की वजह से संभव हो पाया है।
आदिवासी समुदायों में कुछ अजीबो गरीब परंपाए हैं जिन्हे जानकर आपको हैरानी होगी साथ ही आप सोच में पड़ जाएंगे कि ये कैसे संभव है। यहां पूरा समाज एकजुट होकर मेंढकों की शादी करवाता है। पूरे रीति रिवाजों के साथ समुदाय इकट्ठा होता है और शादी की हर रस्म अदा की जाती है। मेंढक को दूल्हा और मेंढ़की को दुल्हन बनाया जाता है।
निकाली जाती है बारात, होते हैं सात फेरे
मेंढक की शादी के दौरान पूरा सामाजिक उत्सव का माहौल रहता है। सभी घर से पूरी तरह तैयार होकर आते हैं। इस शादी की खुशी में शामिल होने गांव के लोग अपने रिश्तेदारों तक को बुलावा देते हैं। इसके बाद दोनों को मंडप में पकड़कर लोग बैठते हैं। सात फेरे भी लगावाएं जाते हैं।
कई और भी हैं रिवाज
गांवों में जब बारिश लेट होती है तो वहां की महिलाएं घर के अंदर से खाना बनाना बंद कर देती हैं। वे खेत खलिहानों या घर के मैदान पर खाना बनाना शुरू कर देती हैं। खेतों में महिलाएं अलसुबह जाकर पूरी तरह से निर्वस्त्र होकर स्नान करती हैं।
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