गुरु पूर्णिमा यानी गुरु को नमन करने का दिन। गुरु पूर्णिमा महापर्व पर देशभर के मंदिरों की रौनक देखते ही बनती है, लेकिन गुरु के घर की रौनक इस दिन सबसे अधिक होती है, हो भी क्यों नहीं। इस दिन उनके शिष्य गुरु को नमन करने और आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं।
गुरु पूर्णिमा का पर्व अध्यात्म, संत-महागुरु और शिक्षकों को समर्पित हमारे देश का सांस्कृतिक त्योहार है। इस साल हम इस त्योहार को 19 जुलाई मंगलवार को मना रहे हैं।
दादाजी दरबार में उमड़ा आस्था का सैलाब, गुरुपूर्णिमा महोत्सव पर पूरे एमपी से आ रहे श्रद्धालूइसलिए होती है गुरु पूर्णिमा विशेष
आषाढ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। यह दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वेपायन व्यास का जन्मदिन भी है। हिंदू धर्म में गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ माना गया है। गुरु ही शिष्यों को अच्छी राह पर चलने की प्रेरणा देता है और जीवन की कठिनाईयों का सामना करने के लिए तैयार करता है।
इसलिए कहा गया है-
गुरुब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरु देव महेश्वर:, गुरु साक्षात्परब्रह्मा तस्मैश्री गुरुवे नम:
यानी गुरु ही ब्रम्हा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्मा है। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हंू।
ऐसे करें पूजा:-
-सुबह घर की सफाई, स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके तैयार हो जाएं।
-घर में पवित्र जगह पर पटिए पर सफेद वस्त्र बिछाकर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाना चाहिए।
-फिर हमें गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये मंत्र से पूज का संकल्प लेना चाहिए।
– इसके बाद दसों दिशाओं में अक्षत छोड़ें।
– व्यासजी, ब्रह्माजी, शुक्रदेवजी, शंकराचार्यजी के नाम, मंत्र से पूजा का आव्हान करें।
-अब अपने गुरु या उनके चित्र की पूजा करके उन्हें योग्य दक्षिणा भेंट करें।