90 फीसदी से ज्यादा खातों में ट्रांजेक्शन नहीं होने से प्रदेश की सभी 38 जिला सहकारी बैंकों की आर्थिक स्थिति लगातार कमजोर हो रही है। इसमें इंदौर प्रीमियम को-ऑपरेटिव जैसी बड़ी बैंक भी शामिल है। ताजा फरमान में विभाग ने स्पष्ट कहा है कि जिन संस्थाओं के खाते अन्य व्यावसायिक बैंकों में हैं, वे उनमें मौजूद सारी राशि निकालकर जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के खातों में जमा करवाएं और आगे से इन्हीं खातों से लेन-देन करें। वहीं यदि किसी संस्था को इसमें कोई दिक्कत है तो वह सहकारिता विभाग के अफसरों को जानकारी देकर उचित दिशा-निर्देश मांग सकते हैं।
इंदौर जिले में करीब ३ हजार सहकारी संस्थाएं हैं, जो रोजाना लगभग 2 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का लेन-देन करती हैं। लगभग सभी गृह निर्माण संस्थाओं का लेन-देन निजी और राष्ट्रीयकृत बैंकों के खातों से होता है। इसके अलावा उपभोक्ता भंडार संस्था, साख संस्थाओं में भी बड़े स्तर पर प्रतिदिन लेन-देने होता है, लेकिन ये संस्थाएं अपने पास में मौजूद अन्य बैंकों में ही पैसों की सुरक्षा का डर दिखाकर खाता वहीं खोल लेती हैं।
मुख्यालय से आए आदेश के बारे में सभी संस्थाओं को सूचना भेज दी है। जो संस्थाएं निर्देशों का पालन नहीं करेंगी, उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
– सुरेश सावले, सहायक आयुक्त सहकारिता