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कलेक्टर ने दिये मजिस्ट्रियल जांच के आदेश
मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर मनीष सिंह ने शव के साथ हुई अमानवीय घटना पर मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए हैं। मामले की जांच एडीएम अजय देव शर्मा को सौंपी गई हैं। हालांकि, ये बात जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगी कि, आखिर कार बुजुर्ग के शव के साथ हुआ क्या है। हालांकि, सामने से देखने पर शव चूहों द्वारा कुतरा गया ही मालूम होता है। लेकिन, पत्रिका स्वयं इसकी पुष्टि नहीं करता।
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परिवार ने की चूहों के कुतरने की पुष्टि
शहर के इतवारिया बाजार में रहने वाले 87 वर्षीय नवीन चंद जैन को सांस लेने में तकलीफ थी, जिसके चलते उन्हें 17 सितंबर को शहर के यूनिक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिजन का कहना है कि, बुजुर्ग का इलाज कोविड वार्ड में भर्ती करके किया जा रहा था। रविवार देर रात करीब 3 बजे अस्पताल से सूचना दी गई कि उनकी मौत हो गई है। हमें बताया गया कि, निगम की गाड़ी उन्हें अंतिम संस्कार के लिए ले जाएगी। इसके बाद हम दोपहर 12 बजे अस्पताल पहुंचे तो हमने देखा कि, शव को जगह-जगह चूहों द्वारा कुतरा हुआ है। इसपर परिवार ने अस्पताल प्रबंधन से इसपर बात की तो, उन्होंने अपनी गलती कबूल की।
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थमा दिया 1 लाख का बिल, शव पर गंभीर घाव थे
मृतक की परिजन प्राची जैन के मुताबिक, जब हम अस्पताल पहुंचे तो अस्पताल द्वारा हमें एक लाख रुपये का बिल थमाकर जमा करने को कहा, जब हमारी ओर से रकम जमा की गई, इसके बाद हमें शव सौंप दिया गया। लेकिन, शव की हालत देखकर हमारे होश उड़ गए। शव के चेहरे और पैर पर गंभीर घाव थे। अस्पताल प्रबंधन ने शव को कहीं ऐसी जगह पटक दिया था, जहां चूहों ने उसे कुतर दिया। प्राची के मुताबिक, शव की आंखे बुरी तरह कुतरी हुई थीं।
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आक्रोशित परिवार ने किया हंगामा
अपने घर के बड़े बुजुर्ग के शव की ये हालत देखकर आक्रोशित हुए परिजन ने शव को अस्पताल के बाहर रखकर हंगामा कर दिया। इस दौरान पुलिस भी मौके पर पहुंच गई, जिसने काफी देर मृतक के परिजन को समझाइश देने का प्रयास किया, लेकिन परिवार ने पुलिस के समक्ष सवाल रखा कि, उन्हें बताया जाए कि, आखिरकार इस गलती का जिम्मेदार कौन है। हालांकि, इस दौरान काफी देर बीत जाने के बावजूद भी अस्पताल की ओर से किसी जिम्मेदार ने आकर परिजन को इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी।
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शाम को हमारी बात हुई बहुत ठीक थे पर चंद घंटों में ऐसा क्या हो गया- परिजन
परिवार के एक अन्य सदस्य के मुताबिक, अस्पताल द्वारा मरीज को भर्ती करने के बाद हमें उनसे मिलने नहीं दिया गया। रविवार शाम 4 से 5 के बीच तो हमारी उनसे फोन पर बात हुई, इस दौरान वो बहुत स्वस्थ लहजे में बात कर रहे थे और रिकवर होने का भी बता रहे थे, लेकिन रात करीब 8 बजे अस्पताल द्वारा हमें बुलाकर कहा गया कि, उनकी हालत गंभीर है और हमसे एक कागज पर साइन भी करवा लिए। इसके बाद देर रात करीब 3 बजे हमें उनकी मौत की सूचना दी गई। परिवार का कहना है कि, अगर अस्पताल की ओर शव रात में ही ले जाने दिया जाता तो ये घटना नहीं घटती। चार घंटे में ऐसा कैसे हो सकता है कि, चूहा इस तरह से बॉडी कुतर दे। इसमें अस्पताल की गंभीर लापरवाही है।
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