आपको बता दें कि, मंदिर में विराजित रणजीत हनुमान की विशेषता ये है कि, यहां हनुमान ढाल और तलवार लेकर विराजमान हैं। मान्यता है कि, ये विश्व भर में अपनी तरह की एकमात्र प्रतिमा है। इसके अतिरिक्त उनके चरणों में अहिरावण है। ऐसा तो मंदिर के स्थापना और मूर्ति को लेकर कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। मूर्ति को देखकर लगता है कि, जैसे भगवान किसी युद्ध की तैयारी में है।
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मंदिर से जुड़ी है राजा की जीत- मान्यता
मंदिर के साथ राजा की जीत की कहानी भी काफी प्रसिद्ध है। बताया जाता है कि, युद्ध में जब एक राजा हारने लगा तो वो भागते हुए भर्तहरी गुफा में आ पहुंचा। यहां पर एक महात्मा ध्यान में बैठे थे। राजा बहुत देर तक बैठा रहा। इसके बाद जब महात्मा ध्यान मुक्त हुए तो रोटी देते हुए कहा कि, इसके टुकड़े डालते हुए जाना, जहां टुकड़े समाप्त होंगे, वहां मंदिर मिलेगा। वहां तुम्हारी सारी परेशानियां दूरी होगी। ये मंदिर रणजीत हनुमान मंदिर था। वहां पर पूजा से राजा को रण में जीत का आर्शीवाद मिला।
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लाकों भक्तों के साथ भ्रमण पर निकलते हैं भगवान
मंदिर के मुख्य पुजारी पं. दीपेश व्यास कहते है कि, रणजीत अष्टमी पर निकलने वाली प्रभातफेरी मध्य भारत में निकलने वाली सबसे बड़ी प्रभातफेरी है। 16 दिसंबर को सुबह पांच बजे मंदिर से भगवान स्वर्ण रथ पर सवार होकर निकलेंगे। इसमें उनके साथ एक लाख से ज्यादा लोग शामिल होंगे। प्रभातफेरी महूनाका, अन्नपूर्णा, उषा नगर, गुमाश्ता नगर, स्कीम नंबर 71 से होते हुए पुन: मंदिर प्रांगण में पहुंचेगी। यात्रा में स्थानीय भक्तों के साथ ही साधु-संत भी शामिल होंगे। इसके पहले 14 दिसंबर को दीपोत्सव का आयोजन होगा। इस अवसर पर मंदिर में 21 हजार दीपों से सजावट की जाएगी। 15 दिसंबर को रथ में विराजित होने वाले विग्रह के साथ 51 हजार रक्षा सूत्रों का अभिषेक होगा।
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