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इंदौर

आज कोई गैर नहीं, सब पर छाएगा अपनेपन का रंग

सुबह से ही छाने लगा गेर का उल्लास, राजबाड़ा पर एकत्रित होंगी सभी गेर,
रंग में भंग डालने वालों की खैर नहीं, आप भी बनेंगे न इस सतरंगी समां के
साक्षी

इंदौरMar 28, 2016 / 09:36 am

Kamal Singh

rang panchami celebration

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इंदौर. धुलेंडी के रंगों की खुमारी उतरते ही शहर सोमवार को रंगारंग गेरों से सराबोर होगा। कम्प्रेशर मशीनें ऐसा गुलाल उड़ाएंगी कि तीसरी-चौथी मंजिल तक छुपकर बैठे चेहरे लाल-पीले और आसमान तिरंगे रंग में रंग जाएगा। गेर में रंगों की बौछार, पानी की फुहार होगी तो फाग यात्राओं में सूखे रंग से पारंपरिक उल्लास का रंग बिखरेगा। क्या अपने, क्या पराए, सभी एक ही रंग में रंग जाएंगे।

ये दो गेर निरस्त
टोरी कॉर्नर गेर का ये 68वां साल था, पर गिरी परिवार में वैवाहिक आयोजन होने से निरस्त कर दी गई। ये गेर शेखर गिरी, शिव गुप्ता और दीपक जोशी निकालते थे। मॉरल क्लब गेर का 44वां वर्ष था, किंतु संस्थापक ईश्वर तिवारी के निधन से ये भी निरस्त रहेगी।

फाग यात्राएं : हिंद रक्षक संगठन की फाग यात्रा लोधीपुरा से सुबह 10 बजे शुरू होगी। इसमें महापौर मालिनी गौड़ के साथ सैकड़ों महिलाएं शामिल होंगी। राधा कृष्ण फाग यात्रा बाणगंगा के मौनी बाबा आश्रम से सुबह 9.30 बजे निकलेगी। यात्रा का नेतृत्व भाजयुमो अध्यक्ष गोलू शुक्ला करेंगे। माधव फाग यात्रा जबरन कॉलोनी से सुबह 10.30 बजे निकलेगी, जिसकी अगुवाई विधायक उषा ठाकुर करेंगी।

1947 से निकल रही गेर, आपातकाल में भी नहीं थमी परंपरा
इंदौर में गेर का इतिहास आजादी के साल 1947 से जुड़ा है। टोरी कॉर्नर से बाबूलाल गिरी, छोटेलाल गिरी ने दोस्तों के साथ इसकी शुरुआत की। तब ये मंडली बाल्टी में रंग घोलकर निकलती थी और हर आते-जाते को घेरकर रंग लगाती थी। इनका ये सफर टोरी कॉर्नर से राजबाड़ा तक होता था। इसे लोग घेर बोलने लगे, धीरे-धीरे ये गेर बन गई। लोगों के जुड़ाव से इसने ऐसा मुकाम पाया कि अब आसपास के शहरों में भी पंचमी पर गेर निकाली जाती है। जहां भी गेर का आयोजन होता है, स्थानीय प्रशासन को छुट्टी घोषित करना पड़ती है। आपातकाल में भी गेर का सिलसिला नहीं टूटा। शहर की कई नामी हस्तियां अलग-अलग दौर में गेर से जुड़ीं। इसमें स्व. बसंत पंड्या, स्व. गिरधरगोपाल राठी, स्व. लाड़लीप्रसाद सेठी, स्व. प्रहलाद शर्मा (मशीन वाले), स्व. रामचंद्र भिंडी पहलवान, स्व. गोकुलदास भूतड़ा, स्व. चांदमल गुप्ता (पूर्व महापौर), बाबू हमीद भाई, मो. शरीफ भाई, जब्बार हुसैन, बुंदू भाई आदि प्रमुख थे।

बहुत याद आते हैं कढ़ाव
रंगपंचमी पर सबको वो कढ़ाव बहुत याद आते हैं, जो हर चौराहों पर रखे जाते थे। गहरे रंग से भरे इन कढ़ावों में चौराहों से गुजरने वाले हर आते-जाते को डुबकी लगवाई जाती थी। जो रंग लगवाने में ना-नुकूर करते थे, उन्हें टांगा-टोली कर कढ़ाव में डाल दिया जाता था। मल्हारगंज, कड़ाबीन, टोरी कॉर्नर, गोराकुंड, खजूरी बाजार आदि इलाकों में लोग इन कढ़ावों से बचकर निकलते थे।

1. संगम कॉर्नर (61वां वर्ष) सुबह 10 बजे तीसरी मंजिल तक पहुंचेंगे सद्भावना के रंग
गेर की शुरुआत करने वालों में से एक प्रेमस्वरूप खंडेलवाल संगम कॉर्नर की गेर के मुखिया हैं। अब उन्हें बेटे कमलेश खंडेलवाल और बहू पूर्व पार्षद तनूजा खंडेलवाल का साथ भी मिल रहा है। गेर में इस बार भी सद्भावना के रंग बरसेंगे। मिसाइलों से तीसरी मंजिल तक रंग जाएंगे और तिरंगा बनाएंगे। इसके लिए विशेष कम्प्रेशर बुलाया है। सभी धर्मों के संत एक बग्घी में सवार होकर भाईचारे का रंग बिखेरेंगे। गेर आयोजकों का कहना है कि इस बार गीले रंग भरपूर रहेंगे। सुबह 9 बजे ठंडाई भी बांटी जाएगी।

2. रसिया कॉर्नर (43वां वर्ष) सुबह 9.30 बजे : हेलमेट से सुरक्षा का देंगे संदेश
रसिया कॉर्नर, ओल्ड राजमोहल्ला की गेर इस बार हेलमेट से सुरक्षा, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का संदेश देते हुए निकलेगी। जगदीशप्रसाद जोशी और क्रांतिसागर जोशी द्वारा शुरू की गई ये गेर अब राजपाल जोशी के मार्गदर्शन में निकलेगी। गेर की शुरुआत आईडीए अध्यक्ष शंकर लालवानी और बीजेपी नगर अध्यक्ष कैलाश शर्मा हरी झंडी दिखाकर सुबह 9.30 बजे करेंगे। जोशी ने बताया लोगों को जागरूक करने के लिए गेर में 150 युवा हेलमेट पहनकर चलेंगे।

तिरपालों से ढंक गईं दुकानें व इमारतें
गेर मार्ग पर मकान, दुकान तिरपाल से ढांके गए हैं। ऐसा रंग से बचाव के लिए किया है। सबसे ज्यादा तिरपाल सराफा और खजूरी बाजार में लगे हैं, क्योंकि गेर यहां शबाब पर होती है। व्यापारियों ने यहां दुकानों के साइन बोर्ड तक कवर कर दिए हैं। बहुमंजिला इमारतें भी ऊपर से नीचे तक ढंकी हैं।

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