इसी की वजह से लोग इसे खाने दूर-दूर से आते हैं। दुकान संचालक गौतमेश्वर पांडे ने बताया कि उनके बाबूजी लालशंकर पांडे ने दुकान शुरू की थी। यहां आलू की कचोरी और गोंद के लड्डू के साथ ही उसल पोहे मिलते हैं। उसल पोहे तो विशेष हैं ही, गोंद के लड्डू भी लाजवाब हैं, जो बनते ही खत्म हो जाते हैं।
कचोरी भी जल्द बिक जाती है। पांडे बताते हैं कि सेल बढ़ाने के लिए कभी क्वालिटी नहीं बिगाड़ी। हां, पहले की अपेक्षा थोड़ी तीखा कम किया है, लेकिन हमारे जैसा स्वाद और कोई नहीं दे सकता। आजकल के लोग पहले के लोगों की तुलना में इतना तीखा नहीं खा पाते। अब लोग इस बात का भी विशेष ध्यान रखते हैं कि हम किस चीज की क्या क्वालिटी रखते हैं। इसी वजह से वह हमें पसंद भी करते हैं।
ऐसे बनाया जाता है उसल-पोहा
उसल मोठ से बनाया जाता है। इसमें अदरक, लहसुन सहित अन्य खड़े मसाले और लाल मिर्च का तड़का लगाया जाता है। आमतौर पर लोग उसल पोहे की दुकानों पर बार-बार तरी मांगते हैं, लेकिन यहां तरी मांगने के पहले आदमी सोचता है कि लें या नहीं। उसल पहले ही इतना तीखा होता है कि पसीना छुड़ा देता है। पहली, दूसरी बार आने वाले लोग तो उसल पोहे का तीखापन कम करने के लिए सादे पोहे मांगते हैं या आधे ही छोड़ देते हैं।