पंडित प्रदीप मिश्रा का कहना है कि भगवान कभी अपने भक्त से मेवा आदि की लालसा नहीं रखते। बस वे तो यही चाहते हैं कि भक्त कुछ समय ऐसा निकाले जो सिर्फ उसका और भगवान का हो। यदि आप ईश्वर के पास विश्वास लेकर पहुंचे हैं, तो ध्यान रखें कभी भी खाली हाथ नहीं लौटेंगे। जब आप भगवान के लिए समय निकालते हैं, आप शिव की चर्चा करते हैं तो, देवलोक मे भी आपकी चर्चा होती है। यही नहीं आपके लिए खुद भगवान शिव भी समय निकालते हैं।
आपको बताते चलें कि यह बात कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने इंदौर में आयोजित एक दिवसीय शिव चर्चा ‘सबके शिवा’ में कही। यह आयोजन गीता रामेश्वरम ट्रस्ट की ओर से किया गया। पं. प्रदीप मिश्रा के मुखारविंद से सत्संग सुनने लाखों भक्त इस कथा पंडाल में पहुंचे। पं. मिश्रा ने कहा कि शिव पुराण ने भक्तों को दुख की घड़ी में विश्वास दिया है कि शिव तुम्हारे साथ हैं। एक भरोसा पक्का किया है कि आखिर शिव तत्व क्या होता है। भगवान शिव को लेकर जो विश्वास अहिल्याबाई होलकर के मन में था, उसका प्रमाण है कि दुनिया में आज तक कोई संत, महात्मा ऐसा नहीं हुआ जिसके हाथ में सदा शिवलिंग रहता हो, लेकिन अहिल्याबाई के हाथों में हमेशा शिवलिंग रहता था।
यही नहीं पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा है कि हमेशा संगत सोच-समझकर ही बनाना चाहिए। क्योंकि जिसके साथ आप रहते हैं वह आपकी अहमियत भी निर्धारित करता है। यदि आपकी संगत अच्छी होगी तो, आपकी साख बढ़ेगी ही बढ़ेगी। शिव महापुराण कहता है कि भगवान शिव केवल बिल्वपत्र या जल चढ़ाने से, 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से नहीं मिलते। शिव की प्राप्ति तो तब होती है जब आप किसी रोते हुए व्यक्ति के आंसू पोंछें, उसके चेहरे पर मुस्कुराहट ला दें। ढोंग और प्रपंच में न जाकर आप केवल महादेव की शरण में जाएं।