कलेक्टर ने बैठाई जांच मामले में शिकायत होने के बाद रात को ही कलेक्टर ने डॉ. संतोष सिसोदिया और बीएमओ योगेश सिंघारे को जांच के लिए अस्पताल भेजा। जांच अधिकारी डॉ. संतोष सिसोदिया ने बताया कि प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि अस्पताल की ग्यानिक डॉक्टर समय पर नहीं पहुंची थी और स्टाफ ने लापरवाही की। इसके साथ ही सभी के बयान लिए जा रहे हैं। इधर, आशा कार्यकर्ता माया मालवीय की भूमिका संदिग्ध है। उनके बयान लिए जाने है। जल्द जांच कर रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जाएगी।
बचाने में लगे अफसर जिस दौरान गर्भवती महिला को सिविल अस्पताल में भर्ती किया गया। उस समय अस्पताल प्रभारी डॉ. एचआर वर्मा थे। उन्होंने बताया कि ७ मार्च की रात को डॉ. निकुंजा सूले और ८ मार्च की दिन में डॉ. सीमा सोनी की ड्यूटी थी। महिला की नॉर्मल डिलेवरी संभव नहीं थी। हमने ऑपरेशन करने को कहा। लेकिन परिजन नॉर्मल डिलेवरी पर अड़े रहे। इसलिए रैफर किया था।
बच्चे को देखने तक नहीं दिया पुष्पेंद्र ने बताया कि ऑपरेशन के बाद हमें बताया कि बच्चे की धड़कन कम हो रही है और हमें दिखाए बिना ही इंदौर के लोटस अस्पताल ले गए। यहां डॉक्टरों ने हमें बताया कि बच्चे की डिलेवरी के दौरान ही मौत हो चुकी है। इधर, डिलवेरी के दो दिन तक पत्नी को होश नहीं आया।
पीडि़ता ने बताई आपबीती पुष्पेंद्र ने बताया कि दो दिन बाद १० मार्च को पत्नी को होश आया तो बताया कि ओटी में डॉ. संजय देवड़ा ने मारपीट भी की। बार-बार पुश करवाया जा रहा था। कुछ स्टॉफ तो शरीर पर बैठकर पुश कर रहे थे। हमें लोटस अस्पताल के डॉक्टरों ने भी बताया था कि बार-बार पुश करने से बच्चे की मौत हुई है।