Pithampur industrial city in the country’s culture
सुनील भटनागर @ पीथमपुर. वैसे तो इस औद्योगिक नगरी की आबादी करीब सवा लाख है। इसमें देश के अधिकांश राज्यों के लोग शामिल हैं। जो समय-समय पर अपनी संस्कृति के अनुरूप त्योहार, सामाजिक गतिविधियां संचालित करते हैं। यही वजह है कि मिनी इंडिया की झलक दिखाने वाली गंगा-जमुनी संस्कृति के यहां दर्शन होते हैं।
यहां के विभिन्न कारखानों में रोजगार पाने वाले बिहार, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, बंगाल, कर्नाटक सहित विभिन्न राज्यों के निवासी रहते हैं। त्योहारों और धार्मिक आयोजनों के समय इनकी रंगारंग संस्कृति विभिन्न गतिविधियों में झलकती है। चाहे गरबों का आयोजन या गुड़ी पड़वा, चाहे गणेशोत्सव या पोंगल की धूम, चाहे लोहड़ी का पर्व या काली पूजा का अवसर, गणगौर की झेल हो या ओणम का विशेष का पर्व, इनके जरिए भारत के विभिन्न प्रांतों की संस्कृति के दर्शन होते हैं यहां।
छठ पूजा के नजारे मालवा-निमाड़ की संस्कृति के बीच बिहार की छठ पूजा के नजारे पीथमपुर में भी दिखाई देते हैं। यहां करीब 90 प्रतिशत लोग बिहार के रहते हैं। पवन शर्मा, अनिल तिवारी, मनोज ठाकुर, सुमन ठाकुर सहित कई लोगों ने बताया कि बिहार का प्रमुख पर्व है छठ पूजा। जो लोग अपने पैतृक स्थान पर इस अवसर पर नहीं जा पाते हैं, वे यहीं सामूहिक रूप से सामाजिक गतिविधि के तहत छठ पूजा मनाते हैं। किसी पवित्र जलस्रोत के समीप महिलाओं द्वारा सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य को अध्र्य देकर पूजा करना, हल्दी-कुंकू से सम्मान करना अलग ही आस्था को व्यक्त करता है।
कहीं काली पूजा तो कहीं ओणम की रंगोली फूलों से सजी रंगोली और भगवान अयप्पा की झांकी जब ओणम की झलक प्रस्तुत करती है तो बंगाल और कर्नाटक-मद्रास की संस्कृति साक्षात जीवित हो उठती है। नवरात्रि में बंगाली लोग काली पूजा विधि विधान से करते हैं तो ओणम के समय भी समाजजन एकत्र होकर धार्मिक रस्म निभाते हैं। यहां बड़ी संख्या में बंगाली लोग रहते हैं, विशेष रूप से सेक्टर एक में, काली पूजा का आयोजन वे खास तरीके से करते हैं। इसी प्रकार नगर के तीनों सेक्टर में निवासरत दक्षिण भारत के परिवार ओणम मनाते हैं।
गुड़ी पड़वा की मचती है धूम यहां महाराष्ट्रीयन समाज के भी बहुत परिवार रहते हैं। इस समाज के संदीप पाटिल, सुरेश गावंडे, किरण पाटिल, गयाबाई गावंडे, सुरेश बोरेकर, निर्मला तोमर सहित कई लोगों ने बताया कि हिंदू नववर्ष पर घरों के दरवाजों पर गुड़ी बांधी जाती है। गुड़, धनिए, मिश्री और नीम की पत्तियों से समाजजन एक दूजे का अभिनंदन कर नए साल की बधाई देते हैं। इसके अलावा गणगोर की झेल भी हर्षोल्लास से महिलाएं निकालती हैं। इसके अलावा गणेश पूजा, जन्माष्टमी, शिवरात्रि, वैभव लक्ष्मी पूजा सहित विभिन्न धार्मिक गतिविधियों के आयोजन में समाजजन बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं।
संस्कृति की झलक जिले का एकमात्र भगवान अयप्पा मंदिर पीथमपुर में धार जिले में केरल संस्कृति के दर्शन कराने वाला एकमात्र भगवान अयप्पा का मंदिर पीथमपुर में स्थित है। समाज के मधु पिल्लई, कुमार मोहनदास, ओमना कुट्टम पिल्लई, शशिकुमार सहित कई लोगों ने बताया कि यहां दक्षिण भारत के लोग हाउसिंग कॉलोनी स्थित अयप्पा मंदिर में नौ साल से भगवान की पूजा विधि-विधान से कर हर्षोल्लास से त्यौहार मनाते हैं।