दरअसल, महू-पीथमपुर क्षेत्र में आवासीय प्रोजेक्ट के लिए डेवलपर्स ने कलेक्टर के समक्ष विकास अनुमति के आवेदन किए हैं। इन प्रोजेक्ट की जमीनों का डायवर्शन भी हो चुका है। डेवलपर्स ने इसके आधार पर प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन के लिए रियल एस्टेट रेग्यूलेटरी अथॉरिटी में आवेदन किया है। दस्तावेजों की जांच में विकास अनुमति नहीं होने पर रेरा ने डेवलपर्स से अनुमति पेश करने के लिए कहा। इस पर आवेदन विचारधीन बताया गया। रेरा ने इसके लिए एक पत्र कलेक्टर को भी लिखते हुए अनुमतियों में देरी का कारण पूछा। इसके बाद प्रशासन ने एसडीओ महू से जानकारी मांगी। एसडीओ ने औद्योगिक केंद्र विकास निगम की आपत्ति को आधार बनाते हुए इन १८ गांवों में विकास अनुमति के लिए एनओसी जारी नहीं की। उनका कहना है, पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र का मास्टर प्लान बन रहा है। यहां जमीनों का अंतिम भूमि उपयोग तय होने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। सारे मामले में कलेक्टर ने रेरा को तो पत्र तो दिया है, लेकिन अनुमतियों में पेंच के निराकरण के लिए एकेवीएन को भी जमीनों के उपयोग के साथ जानकारी देने को कहा है।
प्लान की प्रति कलेक्टर को नहीं भेजी
बताया जा रहा है, कलेक्टोरेट में किसी भी आला अधिकारी को पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के मास्टर प्लान की जानकारी नहीं है। इसकी प्रति जिला प्रशासन को भेजी नहीं गई है। जिले के शामिल गांवों की जमीनों के भूमि उपयोग की भी जानकारी नहीं है।
इंदौर जिले के यह गांव
अंबापुरा, बजरंगपुरा, कालीबिल्लौद, बंदीपुरा, बेटमा खस, बेटमा खुर्द, भंवरगढ़, बीजापुर, धन्नड़ (इंदौर ), घाटाबिल्लौद, कारवासा, मेहतवाड़ा, रणमल बिल्लौद, सांगवी, सलामपुरा, भाटखेड़ी महू, बंजारी।