गौरतलब है कि एमवाय अस्पताल में मरीज जूनियर डॉक्टरों के भरोसे ही रहते हैं। ओपीडी से लेकर वार्डों में भर्ती मरीजों में से कुछेक को छोड़ दिया जाए तो सीनियर डॉक्टर उन्हें देखने कहीं नहीं पहुंचते। यहां तक कि ओपीडी में कई बार फटकार लग जाने के बाद भी सीनियर डॉक्टर न तो समय पर आ रहे हैं और न ही समय तक रहते हैं। ऐसे में जब पिछले दिनों एसीएस और चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव राधेश्याम जुलानिया की मां को एमवाय अस्प्ताल में लाया गया तो यहां उनके लिए प्रायवेट वार्ड में सभी सुविधाएं जुटाई गईं। एसी लगाया गया, सीनियर व जूनियर डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई।
नर्सिंग स्टाफ की विशेष रूप से ड्यूटी लगी। ऐसे में जब वार्डों में भर्ती मरीज और उनके परिजन यह घटनाक्रम देखते तो उनकी आंखों में पानी भर आता कि हम गरीब हैं, हमारी पहुंच नहीं होने के कारण हमें इस तरह इलाज नहीं मिल पाता। उधर, लगातार अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों का व्यवहार मरीजों के प्रति खराब होते जा रहा है। अस्पताल में मरीजों व परिजनों से दुव्र्यवहार के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। इस मामले में जब एमवाय अधीक्षक डॉ. वीएस पाल से बात की गई तो कहना है कि हमने किसी को अलग से विशेष इलाज नहीं दिया। हम तो सभी मरीजों को एक नजर से देखते हैं।