जन्माष्टमी पर फिर असमंजस, शुक्रवार सुबह 8.09 से शनिवार 8.31 बजे तक रहेगी अष्टमी, दो दिन मनेगा त्योहार
इंदौर. जन्माष्टमी को लेकर हर बार की तरह इस बार भी असमंजस्य की स्थिति है। कहीं 23 अगस्त को तो कहीं 24 अगस्त को मनाई जाएगी। यानि इस साल भी यह त्योहार दो दिन मनाया जाएगा। इस साल अष्टमी तिथि 23 अगस्त, शुक्रवार को सुबह 8.09 बजे से लगेगी जो दूसरे दिन यानी 24 अगस्त शनिवार सुबह 8.31 बजे तक रहेगी। जन्माष्टमी को लेकर शहर के कृष्ण मंदिरों में तैयारियां शुरू हो चुकी है। मंदिरों में साज-सज्जा हो रही है। वहीं शहर में त्योहार को लेकर अलग-अलग क्षेत्रों में शोभायात्राएं भी निकली जाएंगी।
पं. गुलशन अग्रवाल के अनुसार रोहिणी नक्षत्र 23 की देर रात्रि 3.47 बजे से लगेगा जो कि दूसरे दिन अर्थात 24 की देररात्रि 4.15 बजे तक रहेगा। जन्माष्टमी के संदर्भ में इस बात पर विशेष रूप से बल दिया गया है कि इस व्रत को किस दिन मनाया जाए। जन्माष्टमी में अष्टमी को दो प्रकारों से व्यक्त किया गया है, जिसमें से प्रथम को जन्माष्टमी और अन्य को जयंती कहा जाता है। स्कंदपुराण के अनुसार यदि दिन या रात्रि में कलामात्र भी रोहिणी नक्षत्र न हो तो विशेषकर चंद्रमा से मिली हुई रात्रि में इस व्रत को करना चाहिए। कृष्णपक्ष की जन्माष्टमी में यदि एक कला भी रोहिणी नक्षत्र हो तो उसको जयंती नाम से ही संबोधित किया जाना चाहिए तथा व्रत का पालन करना चाहिए। विष्णु पुराण के अनुसार कृष्णपक्ष की अष्टमी रोहिणी नक्षत्र से युक्त भाद्रपद माह में हो तो इसे जयंती कहा जाएगा।
नक्षत्र के अन्त में करना चाहिए पारणा भृगु संहिता अनुसार जन्माष्टमी, रोहिणी और शिवरात्रि ये पूर्वविद्धा ही करनी चाहिए तथा तिथि एवं नक्षत्र के अन्त में पारणा करना चाहिए। कृष्ण जन्माष्टमी को और कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे कृष्णाष्टमी, सातम आठम, गोकुलाष्टमी तथा अष्टमी रोहिणी इत्यादि ।
अलग-अलग तरीके से मनाते हैं पर्व जन्माष्टमी को स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय के लोग अपने अनुसार अलग-अलग ढंग से मनाते हैं। श्रीमद्भागवत को प्रमाण मानकर स्मार्त संप्रदाय के मानने वाले चंद्रोदय व्यापनी अष्टमी अर्थात रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी मनाते हैं तथा वैष्णव मानने वाले उदयकाल व्यापनी अष्टमी एवं उदयकाल रोहिणी नक्षत्र को जन्माष्टमी का त्योहार मनाते हैं।
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