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दर्ज मामलों के आधार पर इंदौर नंबर-1
ये जानकारी एनसीआरबी द्वारा जारी 2019 के आंकड़ों के अनुसार है। हालांकि, इंदौर को ये स्थान 2018 में जारी आंकड़ों में भी मिला था। यानी लगातार दूसरी बार इंदौर वो शहर बना है, जहां के पति उनकी पत्नियों द्वारा सबसे अधिक प्रताड़ित किये जाते हैं। हालांकि, इंदौर और जबलपुर के बीच एक असमंजस है। वो ये कि, जबलपुर में शिकायतें सबसे अधिक सामने आईं, लेकिन काउंसिलिंग के बाद यहां दर्ज प्रकरण वापस हुए बाद में जो प्रकरण बचे उस हिसाब से इंदौर पत्नियों की प्रताड़ना का अधिक शिकार पाया गया। यानी मामले अधिक जबलपुर में सामने आए, लेकिन काउंसिलिग के बाद जो केस की श्रेणी में आए, उस हिसाब से इंदौर प्रथम हो गया। ये सिलसिला भी लगातार दो साल से जारी है। इससे पहले के दो साल जबलपुर पहले स्थान पर पत्नियों की प्रताड़ना का शिकार शहर रहा।
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साल दर साल शहर में इस तरह बढ़ते रहे प्रकरण
साल 2019 में मध्य प्रदेश में कुल 1 लाख 62 हजार मामले सामने आए। इनमें से कई बनावटी मानकर खारिज भी किये गए। इनमें सबसे अधिक 1685 मामले इंदौर में सिद्ध हुए। हालांकि, साल 2018 में शहर में दहेज प्रताड़ना से संबंधित 1584 मामले दर्ज हुए। वहीं, 2017 में 1473 और 2016 में 1217 मामले दर्ज किये गए थे। इस हिसाब से देखें तो महिला प्रकरण के मामले साल दर साल काफी तेजी से बढ़े हैं।
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उम्र के अनुसार महिलाओं द्वारा प्रताड़ित पुरुष
वहीं, महिलाओं द्वारा प्रताड़ित पुरुषों की बात करें, तो इनमें 21 से 40 साल के 50 फीसदी पति शामिल हैं। वहीं, 40 से 60 साल के पतियों की संख्या 37.5 फीसदी है। इसके अलावा, 60 साल से अधिक उम्र वाले पतियों की संख्या 6.25 फीसदी है। इनमें शहरी क्षेत्र में रहने वाले पतियों की संख्या 93.75 फीसदी है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में सिर्फ 6.25 फीसदी है। आंकड़ों के हिसाब से ये कहना भी गलत नहीं होगा कि, ज्यादातर पत्नियों की प्रताड़ना का शिकार होने वालों में शहर में रहने वाला पड़ा लिखा तबका है।
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‘इसलिए पहला केस फरियादी पर ही दर्ज हो’
इंदाैर की पीपुल अगेंस्ट अनइक्वल रूल्स यूज्ड रूल्स यूज्ड टू शेल्टर हैरासमेंट (पाैरुष संस्था), राष्ट्रीय पुरुष आयाेग समन्वय समिति के सदस्याें का कहना है कि, हम भले कितने भी हाइटेक हाे जाएं, लेकिन दहेज की गिरफ्त अब तक बाहर नहीं निकले हैं। पाैरुष संस्था के अध्यक्ष अशाेक दशोरा के मुताबिक, कानूनी तौर पर दहेज लेना या देना दोनो ही अपराध हैं। वहीं, पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाली महिला शिकायत के साथ साथ ये जरूर लिखवाती है कि, शादी के समय उसके परिवार ने पति को कितना दहेज दिया था। इस हिसाब से तो पहली कार्रवाई उनपर ही होनी चाहिए, जो शादी के समय दहेज देते हैं, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं होता।
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सिर्फ इन्हें मिली महिला की श्रेणी, इन्हें नहीं
महिला प्रताड़ना से संबंधित देश में जाे भी कानून बनाए गए वो सिर्फ पत्नी और बहू के लिए ही लागू हुए। जबकि, इसमें सास, ननद, देवरानी, जेठानी आदि रिश्तों वाली महिलाओं को भी इसी क्षेणी में रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, ये जेंडर बेस्ड कानून है, जाे संविधान के माैलिक अधिकाराें के समानता के अधिकाराें का उल्लंघन है। जब पत्नी अपनी शिकायत लेकर किसी भी फाेरम में जाती है ताे उसकी शिकायत तुरंत दर्ज हाेती है। जबकि अन्य रिश्ताें की महिलाओं काे वो अधिकार नहीं मिलता। अशाेक दशोरा के अनुसार, देश में पुरुष आयाेग बनाने के लिए मुहिम छेड़ी हुई है। उनका कहना है जिस दिन पुरुष आयाेग बन जाएगा, उस दिन से ही अदालताें में दर्ज प्रकरणाें की संख्या घटकर एक तिहाई हाे जाएगी।
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प्रताड़ना के शिकार पति इस संस्था से करें संपर्क
इंदाैर की पीपुल अगेंस्ट अनइक्वल रूल्स यूज्ड रूल्स यूज्ड टू शेल्टर हैरासमेंट (पाैरुष संस्था) की ओर से कहा गया है कि, अगर कोई व्यक्ति पत्नी की प्रताड़ना का शिकार होने के बावजूद महिला अपराध से जुड़े झूठे मामलों में फंसता है। ऐसे पुरुष संस्था से संपर्क कर अपने हितों के आधार पर मदद ले सकते हैं। यहां पाैरूष संस्था के अध्यक्ष अशाेक दशोरा के मोबाइल नंबर -9425400999 या पुरुष आयाेग समन्वय समिति की हेल्प लाइन नंबर और 18001216958 संस्था के टोल फ्री नंबर-08882498498 पर संपर्क कर सकते हैं।