ट्रैफिक कंट्रोल के लिए एमआर 9 चौराहे पर रोबोट लगाया था पुलिस ने ट्रैफिक कंट्रोल के लिए एमआर 9 चौराहे पर रोबोट लगाया था। इसे व्यंकटेश्वर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने पुलिस के सहयोग से बनाया था। इसे चौराहे पर लगाकर देखा गया कि यह काम कर पाता है या नहीं। ट्रैफिक व्यवस्था के लिए इसमें कुछ बदलाव भी किए गए थे। यह प्रयोग काफी सफल रहा। संस्था से जुड़े राहुल तिवारी ने बताया कि मेंटेनेंस के चलते इसे हटाया गया है। इसमें कुछ जरूरी सुधार कार्य भी किए जाएंगे। रोबोट के सफल प्रयोग को देखते हुए दूसरे राज्यों से भी इसकी डिमांड आई है, इसमें कोलकाता प्रमुख है।
महंगा पड़ रहा था
इंदौर के एमआर ९ पर करीब 70 दिन रोबोट चौराहे पर लगा रहा, लेकिन इसका इस्तेमाल बहुत महंगा पड़ रहा था। संस्था को यह काफी महंगा पड़ रहा था, बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही थी। रोज रोबोट के लिए तकनीकी स्टाफ को वहां जाना पड़ता था, उसकी देखभाल के लिए। इसके अलावा 24 घंटे सिक्योरिटी गार्ड भी तैनात किया गया था जिसका खर्च संस्था को उठाना पड़ रहा था। इतना खर्च करने के बाद भी उन्हें किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिल पा रही थी। रोबोट को हटाने के पीछे यह भी एक प्रमुख कारण बताया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि इस रोबोट को हैदराबाद में होने वाले ट्रैफिक एनक्लेव में भी पेश किया जा सकता है। इसके लिए कुछ जरूरी बदलाव किए जाने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि संस्था के शीर्ष पदों पर बैठे लोगों को निर्णय लेना है।
इंदौर के एमआर ९ पर करीब 70 दिन रोबोट चौराहे पर लगा रहा, लेकिन इसका इस्तेमाल बहुत महंगा पड़ रहा था। संस्था को यह काफी महंगा पड़ रहा था, बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही थी। रोज रोबोट के लिए तकनीकी स्टाफ को वहां जाना पड़ता था, उसकी देखभाल के लिए। इसके अलावा 24 घंटे सिक्योरिटी गार्ड भी तैनात किया गया था जिसका खर्च संस्था को उठाना पड़ रहा था। इतना खर्च करने के बाद भी उन्हें किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिल पा रही थी। रोबोट को हटाने के पीछे यह भी एक प्रमुख कारण बताया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि इस रोबोट को हैदराबाद में होने वाले ट्रैफिक एनक्लेव में भी पेश किया जा सकता है। इसके लिए कुछ जरूरी बदलाव किए जाने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि संस्था के शीर्ष पदों पर बैठे लोगों को निर्णय लेना है।