एमपीआइडीसी के कार्रवाई शुरू करने के दौरान उसके सामने एक नया कारनामा आ रहा है। योजना लागू होने वाले 15 गांवों में कई जगहों पर तेजी से अवैध कॉलोनी काटी जा रही हैं तो उनमें मकान बनाने का काम भी शुरू हो गया है। ऐसे में योजना को लागू करने में निगम को पसीने छूट जाएंगे, क्योंकि अवैध कॉलोनी व भवन के तैयार होने पर योजनाबद्ध विकास नहीं हो पाएगा। इसको लेकर निगम के प्रबंध संचालक मनीष सिंह ने कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी. को एक पत्र लिखकर इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कोरिडोर योजना के सभी 15 गांवों में विकास अनुमतियां व अनुज्ञाएं जारी नहीं करने को कहा है।
पत्र में कहा है कि मध्यप्रदेश निवेश क्षेत्र विकास एवं प्रबंध अधिनियम-201६ एवं सह पठित नियम-2016 के तहत प्रारूप योजना घोषित की गई। योजना के क्षेत्र में एजेंसी व प्राधिकृत विकास के अलावा किसी भूमि या भवन के उपयोग में परिवर्तन व परिवर्धन नहीं, करेगा या कोई विकास कार्य नहीं करेगा। योजना के प्राधिकृत विकास से भिन्न किसी भी अनुमति का प्रदान किया जाना वैध ना होकर अधिनियम के प्रावधानों एवं नियमों के स्पष्ट उल्लंघन की श्रेणी आता है।
इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर योजना में तहसील मल्हारगंज के अन्तर्गत ग्राम नैनोद, कोर्डियावर्डी व नावदा पंथ हैं। इसके अलावा राऊ तहसील के रिंजलाय, बिसनावदा, श्रीराम तलावली, सिंदौड़ा, शिवखेड़ा, नरलाय, मोकलाय, डेहरी, सोनवाय, भैसलाय व धन्नड़ को शामिल किया गया है।
पत्र में जिक्र है कि योजना क्षेत्र में अवैध कॉलोनियों का निर्माण भी कर दिया गया है, जिनके खिलाफ सक्षम प्राधिकारी के स्तर पर ही कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे मामले जिनमें पंचायत द्वारा अधिकारित रहित अनुमतियां जारी की गई है, उन्हें निरस्त करते हुए अवैध निर्माण को हटाए जाने व विधि कार्रवाई करवाई जाए, जिसको लेकर निर्देश जारी किए जाएं। गौरतलब है कि निगम को कुछ गांवों में पंचायत स्तर पर निर्माण की अनुमति दिए जाने की भी जानकारी लगी। यही वजह है कि उन अनुमतियों को निरस्त करने के लिए निगम ने अपने पत्र में विशेष उल्लेख भी किया।