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इंदौर

किसी को पता नहीं, कब आकार लेगी इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन!

इंदौर के लिए अति महत्वाकांक्षी रेल लाइन योजना तोड़ रही दम, फाइलों में ही गुजर गए कई साल, जिम्मेदारों ने भी अब पल्ला झाड़ा

इंदौरMay 18, 2022 / 11:39 pm

अभिषेक श्रीवास्तव

indore-manmad rail line

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इंदौर. इंदौर और आसपास के आदिवासी बहुल इलाकों के विकास को संजीवनी देने के लिए जिस प्रोजक्ट का वर्षों से इंतजार हो रहा है, अब उसका आकार लेना ही मुश्किल है। कभी इसी प्रोजक्ट को लेकर जिन्होंने सपने दिखाए थे, अब उन्होंने ही उससे मुंह मोड़ लिया है। हम बात कर रहे हैं अति महत्वाकांक्षी रेल लाइन प्रोजक्ट इंदौर-मनमाड़ की। पिछले कई साल फाइलों में ही दौड़ रहे प्रोजक्ट को लेकर जिम्मेदारों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। रेलवे बजट का आवंटन न होने की बात कह रहा है तो परियोजना के लिए 55 फीसद राशि जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट पहले ही मुकर चुका है। ऐसे में योजना अधर में लटक चुकी है।
दरअसल, इस लाइन के बनने से महू, धामनोद, ठीकरी, जुलवानिया, सेंधवा, शिरपुर, धुले जैसे इलाकों बेहद फायदा होता। खासतौर पर आदिवासी बाहुल उन इलाकों को अधिक फायदा होता जो विकास से दूर हैं। उनके लिए इंदौर की सुगमता बढ़ती। पीथमपुर जैसे औद्योगिक आस्थान को कंटेनर भेजने में आसानी होती। अभी सलाना एक से सवा लाख कंटेनर प्रतिवर्ष भेजे जा रहे हैं।
इन्होंने पीछे खींचे हाथः

जहाज रानी मंत्रालयः योजना का शुभारंभ जब हुआ तो जहाजरानी मंत्रालय ने गहरी रूचि दिखाई थी। अब हाथ खींच लिए हैं।

रेलवेः रेलवे के पास इस योजना के लिए कोई फंड ही नहीं है। शुरूआत में कुछ छोटे टेंडर जरूर जारी हुए, लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया। अब रेलवे ने लिखित तौर पर बजट नहीं होने की बात कही है।
जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्टः इसे लागत का 55 प्रतिशत देना था। अब इसने हाथ खड़े कर दिए हैं। इनका कहना है कि वर्तमान में इस रेल लाइन की जरूरत नहीं है।

यह हुआ
कोरम के नाम पर अबतक रेल लाइन को लेकर सर्वे ही सिर्फ हुआ है।
यह दिखाए थे सपने
-इंदौर-मुंबई के बीच की दूरी कोईं 250 किलोमीटर कम हो जाएगी
-रेल मार्ग से उत्तर भारत और दक्षिण भारत की दूरी भी कम होगी
-अधिकतर आदिवासी बहुल जिलों के जुड़ने से आदिवासी समुदाय को सीधा लाभ
-मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की 3 से 4 लाख हेक्टर अल्प उपयोगी बंजर भूमि का विकास
इतनी तय हुई थी लागत
-2017 में क़रीब 9968 करोड़ लागत तय की गई
लागत में हिस्सेदारी : जेएनपीटी की 55%, राज्य सरकार 15% , महाराष्ट्र सरकार 15% और रेलवे की 15%

इन्होंने यह कहा
स्थिति का पता लगा रहे
फिलहाल इंदौर से जुड़े लंबित रेल प्रोजेक्ट की वर्तमान स्थिति का पता लगाया जा रहा है।
-विनीत गुप्ता, मंडल रेल प्रबंधक, रतलाम मंडल

रेलवे ने बताया किसी प्रकार की वित्तीय स्वीकृति नहीं
हाल ही में केंद्रीय रेलवे ने बताया है कि मनमाड़-इंदौर रेल लाइन किसी भी प्रकार को वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली है। इस वजह से रेलवे ने कोई काम शुरू नहीं किया है। अधिकारियों का कहना है कि जब तक हमें स्वीकृति नहीं मिल जाती तब तक कोई कार्य नहीं कर सकते। संघर्ष समिति मामले में रेलवे को न्यायालय के माध्यम से नोटिस जारी करेंगे। एक तरह तो सरकार दिल्ली-मुंबई सडक़ मार्ग पर एक हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है, लेकिन रेलवे लाइन जैसी परियोजना पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
-मनोज मराठे, प्रमुख, इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन संघर्ष समिति
पीथमपुर के लिए अहम मार्ग
इंदौर-मनमाड़ का प्रधानमंत्री ने भूमि पूजन कर दिया था। इसके बाद धूलिया के आसपास जमीन अधिग्रहण की सूचना भी मिली थी। अब लग रहा है, पीथमपुर के लिए सबसे अहम रेल मार्ग को ले कर सरकार गंभीर नहीं है। क्योंकि इसको बनाने की जिम्मेदारी लेने वाले विभाग जेएनपीटी, जहाजरानी मंत्रालय, महाराष्ट्र व मप्र सरकार ने राशि को ले कर हाथ खींच लिए हैं। इसके बाद रेलवे का रूख भी स्पष्ट नहीं है। ऐसे में योजना फिर खटाई में नजर आ रही है।
-गौतम कोठारी, पीथमपुर औद्योगिक संगठन
प्रोजेक्ट की समीक्षा कर रहे हैं
इंदौर-मनमाड़ को लेकर लगातार सरकार से प्रयास जारी है। हाल ही में रेलवे मंत्री से मिल कर इस मार्ग के बारे में चर्चा हुई थी। इसके विकल्प के बारे में चर्चा की जा रही है।
-शंकर लालवानी सांसद इंदौर
योजना का आकार लेना मुश्किल
इस महत्वपूर्ण योजना के प्रति सरकारें गंभीरता नहीं दिखा रही हैं। बजट देने वाले ही अब इससे अलग हो गए हैं। ऐसे में योजना का आकार लेना मुश्किल लग रहा है।
-अजीत सिंह नारंग, सदस्य जेडआरयूसीसी

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