कोरम के नाम पर अबतक रेल लाइन को लेकर सर्वे ही सिर्फ हुआ है।
-इंदौर-मुंबई के बीच की दूरी कोईं 250 किलोमीटर कम हो जाएगी
-रेल मार्ग से उत्तर भारत और दक्षिण भारत की दूरी भी कम होगी
-अधिकतर आदिवासी बहुल जिलों के जुड़ने से आदिवासी समुदाय को सीधा लाभ
-मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की 3 से 4 लाख हेक्टर अल्प उपयोगी बंजर भूमि का विकास
-2017 में क़रीब 9968 करोड़ लागत तय की गई
लागत में हिस्सेदारी : जेएनपीटी की 55%, राज्य सरकार 15% , महाराष्ट्र सरकार 15% और रेलवे की 15% इन्होंने यह कहा
फिलहाल इंदौर से जुड़े लंबित रेल प्रोजेक्ट की वर्तमान स्थिति का पता लगाया जा रहा है।
-विनीत गुप्ता, मंडल रेल प्रबंधक, रतलाम मंडल रेलवे ने बताया किसी प्रकार की वित्तीय स्वीकृति नहीं
हाल ही में केंद्रीय रेलवे ने बताया है कि मनमाड़-इंदौर रेल लाइन किसी भी प्रकार को वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली है। इस वजह से रेलवे ने कोई काम शुरू नहीं किया है। अधिकारियों का कहना है कि जब तक हमें स्वीकृति नहीं मिल जाती तब तक कोई कार्य नहीं कर सकते। संघर्ष समिति मामले में रेलवे को न्यायालय के माध्यम से नोटिस जारी करेंगे। एक तरह तो सरकार दिल्ली-मुंबई सडक़ मार्ग पर एक हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है, लेकिन रेलवे लाइन जैसी परियोजना पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
-मनोज मराठे, प्रमुख, इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन संघर्ष समिति
इंदौर-मनमाड़ का प्रधानमंत्री ने भूमि पूजन कर दिया था। इसके बाद धूलिया के आसपास जमीन अधिग्रहण की सूचना भी मिली थी। अब लग रहा है, पीथमपुर के लिए सबसे अहम रेल मार्ग को ले कर सरकार गंभीर नहीं है। क्योंकि इसको बनाने की जिम्मेदारी लेने वाले विभाग जेएनपीटी, जहाजरानी मंत्रालय, महाराष्ट्र व मप्र सरकार ने राशि को ले कर हाथ खींच लिए हैं। इसके बाद रेलवे का रूख भी स्पष्ट नहीं है। ऐसे में योजना फिर खटाई में नजर आ रही है।
-गौतम कोठारी, पीथमपुर औद्योगिक संगठन
इंदौर-मनमाड़ को लेकर लगातार सरकार से प्रयास जारी है। हाल ही में रेलवे मंत्री से मिल कर इस मार्ग के बारे में चर्चा हुई थी। इसके विकल्प के बारे में चर्चा की जा रही है।
-शंकर लालवानी सांसद इंदौर
इस महत्वपूर्ण योजना के प्रति सरकारें गंभीरता नहीं दिखा रही हैं। बजट देने वाले ही अब इससे अलग हो गए हैं। ऐसे में योजना का आकार लेना मुश्किल लग रहा है।
-अजीत सिंह नारंग, सदस्य जेडआरयूसीसी