साल में 4 बड़ी चतुर्थी पर होता है बड़ा गणपति का विशेष श्रृंगार, यहां दर्शन मात्र से ही पूरी हो जाती है मन्नतें
इंदौर. शहर की पहचान बड़े गणपति को सिर्फ साल में आने वाली चार बड़ी चतुर्थी पर ही विशेष श्रृंगार व चोला चढ़ाया जाता है। एक बार चोला चढ़ाने में 8 दिन का समय लगता है। परिवार के साथ अन्य भक्तों को भी जुटना पड़ता है। एक बार के श्रृंगार में लगभग 41 हजार रुपए खर्च आता है। बड़ा गणपति स्थित चिंताहरण बड़ा गणपति मंदिर के पंडित गणेश्वर दाधिच ने बताया, उनके दादा नारायण दाधिच ने 1901 में मंदिर और मूर्ति का निर्माण किया।
उनके दादा को स्वप्न में विशाल गणपति प्रतिमा की दिखी थी। जिस रूप में दर्शन दिए उसी के अनुरूप मूर्ति का निर्माण किया। मंदिर के मुख्य पुजारी घनेश्वर दाधिच ने बताया, मूर्ति में अष्टधातु, 7 नदियों का जल, मैथीदाना, गुड़, रत्न, गोमूत्र सहित अन्य सामग्री का उपयोग किया। बड़ी चतुर्थी पर विशेष शृंगार में सामग्री और समय दोनों ज्यादा लगता है। इसके लिए मचान भी बनाना पड़ता है। मान्यता है कि बड़ा गणपति के दर्शन मात्र से ही मन्नत पूरी हो जाती हैं।
यह सामग्री लगती है श्रृंगार में बड़ा गणपति की 25 फीट ऊंची और 14 फीट चौड़ी मूर्ति प्रदेश में एकमात्र है। इसी के नाम से यहां के चौराहे का नामकरण हो गया है। शृंगार में 25 किलो शुद्ध घी, 15 किलो सिंदूर, वेलवेट के वस्त्र, गोटे व पन्नी, मोतिओं की माला आदि सामग्री लगती है, जिसमें लगभग ४१ हजार रुपए का खर्च आता है।
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