ओला टैक्सी के खिलाफ उनके कर्मचारी ही चले गए हड़ताल पर, यह है वजह
इंदौर. न्यूज टुडे. पिछले १० दिनों से ओला कंपनी में अपनी कार की सेवाएं दे रहे चालक-संचालक हड़ताल पर चल रहे हैं। अब इस हड़ताल को तेज कर दिया है। मंगलवार से चालकों ने रीगल तिराहे पर आमरण अनशन शुरू कर दिया है। चालकों की मांग है कि ओला के पास न ही ट्रेड सर्टिफिकेट है और न ही आरटीओ द्वारा तय रेट से किराया लिया जा रहा है। इधर चालकों की शिकायत के बाद परिवहन विभाग द्वारा ओला और उबर कार्यालय में जाकर पंचनामा बनाया जा चुका है, बावजूद इसके एप आधारित टैक्सी सर्विस जारी है। हड़ताल पर बैठे चालकों को कल शाम पुलिस हिरासत में लेने भी पहुंची, लेकिन विरोध के बाद लौट गई। इस हड़ताल के बीच देर रात को ओला कंपनी द्वारा बुलवाई गई ४० कारों में तोडफ़ोड़ भी शुरू हो गई। अज्ञात बदमाशों ने कुछ कारों के कांच फोड़ दिए और इंदौर जाने का बोला। हालांकि ओला की ओर से अभी तक किसी तरह की शिकायत नहीं की गई है। ई-कैप संचालक व चालक महासंघ के नितिन जाधव ने बताया कि हमने ओला और उबर कंपनी के साथ मिलकर टैक्सी सेवा शुरू की थी। नई कारें खरीदी थीं, जिसकी किस्तें आज भी भरी जा रही हैं। ओला कंपनी द्वारा भोपाल से खुद की ४० कार बुलाकर इंदौर में संचालन किया जा रहा है। पहले उन्हें ही बुकिंग दी जाती है, जिसके चलते इंदौर के ओला चालकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। हमे ४.८० रुपए प्रति किमी का भुगतान किया जा रहा है, जबकि आरटीओ में ऑटो की दर १५ रुपए प्रति किमी है।
ये है मांग हमारी मांग है कि ओला अपनी कार वापस ले, कंपनी का ट्रेड सर्टिफिकेट नहीं है, आरटीओ द्वारा कंपनी पर प्रतिबंध लगाया जाए, किराया दर तय की जाए। ओला कंपनी की कारों में हुई तोडफ़ोड़ को लेकर महासंघ के नितिन जाधव ने बताया कि इसके बारे में हमें जानकारी नहीं है। ऑटो चालक महासंघ के राजेश बिड़कर ने बताया कि हमारी आरटीओ से बात हुई है। इस मामले में आरटीओ हमारी और कंपनी के बीच मध्यस्थता करने को तैयार हो गए हैं। आज ११ से १२ बजे के बीच चर्चा होने की उम्मीद है। इसके बाद आंदोलन की आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।
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