काजी समझाइश दे सकते हैं लेकिन उनके फैसलों को कानूनी बाध्यता के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता- हाईकोर्ट ने जनहित याचिका में आदेश देते हुए कहा कि शरीयत के आधार पर लिए गए फैसलों को कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि दो पक्षों में सुलह समझौते के लिए काजी समझाइश दे सकते हैं लेकिन उनके फैसलों को कानूनी बाध्यता के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
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शरीयत के आधार पर फैसलों को लेकर हाईकोर्ट में 3 साल पूर्व दायर जनहित याचिका पर आदेश-मुस्लिम समाज में विवाह सहित अन्य मामलों में निराकरण के लिए शरीयत के आधार पर अनेक फैसले लिए जाते रहे हैं. शरीयत के आधार पर लिए गए ऐसे ही एक मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. शरीयत के आधार पर फैसलों को लेकर हाईकोर्ट में 3 साल पूर्व दायर जनहित याचिका पर ये आदेश दिए गए हैं.