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अनुकंपा नियुक्ति को लेकर MP High Court का बड़ा फैसला, इन्हें नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी

Anukampa Niyukti: पिता की मौत के बाद पीएचई में बेटे ने किया था अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन, अधिकारियों ने विभाग के रिकॉर्ड में किसी और का नाम लिखा देख किया था खारिज, दो पत्नियों के फेर में फंसा था पेंच, एमपी हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

इंदौरDec 29, 2024 / 11:27 am

Sanjana Kumar

MP High Court big Decision Anukampa Niyukti
Anukampa Niyukti: मृत्यु से पहले यदि दस्तावेजों में किसी को नामित किया गया है तो उसे ही सरकारी नौकरी में अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार नहीं होता है। यह फैसला लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) में दी गई अनुकंपा नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ ने दिया।

पिता ने रिकॉर्ड में लिखा था किसी और का नाम, दावा हो गया था खारिज

एमपी हाईकोर्ट में प्रवीण कोचक ने याचिका दायर की थी कि उनके पिता हीरालाल कोचक पीएचई में नौकरी करते थे और कोरोना से उनकी मृत्यु हुई थी। उन्होंने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया, लेकिन विभाग ने यह कहते हुए दावा खारिज कर दिया कि रिकॉर्ड में उनके पिता ने उन्हें नामित नहीं किया है।
विभाग के रिकॉर्ड में हीरालाल की पत्नी के तौर पर उषा बाई का नाम है और उनकी मां शांति बाई का नाम नहीं है। विभाग ने हीरालाल की दूसरी पत्नी के पुत्र युवराज को अनुकंपा नियुक्ति दी।

सुनवाई में सामने आया दो पत्नियों का मामला

सुनवाई में सामने आया कि हीरालाल ने 1992 में शांति बाई से शादी की थी, लेकिन 1994 से वे उषा बाई के साथ बिना शादी के रहने लगे थे। 2007 में शांति बाई की ओर से कोर्ट में भरण-पोषण का केस लगाया तो कोर्ट ने 1 हजार रुपए शांति बाई और 500 रुपए याचिकाकर्ता (उनके बेटे) के लिए तय किए थे।

जानें कोर्ट ने क्या कहा

हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि मृतक कर्मचारी के परिवार के अन्य सदस्य भी दावा कर सकते हैं, क्योंकि अनुकंपा नियुक्ति राज्य सरकार की नीति के तहत प्रदान की जाती है। ऐसी नीति कभी भी बहुविवाह को बढ़ावा नहीं देगी। सरकारी नौकरी की प्रमुख शर्त है कि व्यक्ति अपनी पहली शादी के बारे में भी जानकारी दे, लेकिन रिकॉर्ड में हीरालाल ने इसकी जानकारी नहीं दी, जो गलत है। ऐसे में पहली पत्नी के परिवार के सदस्यों का दावा खारिज नहीं किया जा सकता है।

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