पिता ने रिकॉर्ड में लिखा था किसी और का नाम, दावा हो गया था खारिज
एमपी हाईकोर्ट में प्रवीण कोचक ने याचिका दायर की थी कि उनके पिता हीरालाल कोचक पीएचई में नौकरी करते थे और कोरोना से उनकी मृत्यु हुई थी। उन्होंने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया, लेकिन विभाग ने यह कहते हुए दावा खारिज कर दिया कि रिकॉर्ड में उनके पिता ने उन्हें नामित नहीं किया है।सुनवाई में सामने आया दो पत्नियों का मामला
सुनवाई में सामने आया कि हीरालाल ने 1992 में शांति बाई से शादी की थी, लेकिन 1994 से वे उषा बाई के साथ बिना शादी के रहने लगे थे। 2007 में शांति बाई की ओर से कोर्ट में भरण-पोषण का केस लगाया तो कोर्ट ने 1 हजार रुपए शांति बाई और 500 रुपए याचिकाकर्ता (उनके बेटे) के लिए तय किए थे।जानें कोर्ट ने क्या कहा
हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि मृतक कर्मचारी के परिवार के अन्य सदस्य भी दावा कर सकते हैं, क्योंकि अनुकंपा नियुक्ति राज्य सरकार की नीति के तहत प्रदान की जाती है। ऐसी नीति कभी भी बहुविवाह को बढ़ावा नहीं देगी। सरकारी नौकरी की प्रमुख शर्त है कि व्यक्ति अपनी पहली शादी के बारे में भी जानकारी दे, लेकिन रिकॉर्ड में हीरालाल ने इसकी जानकारी नहीं दी, जो गलत है। ऐसे में पहली पत्नी के परिवार के सदस्यों का दावा खारिज नहीं किया जा सकता है।ये भी पढ़ें: 27 साल पुराने मामले में फंसे लालू प्रसाद यादव समेत 13 के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट, 4 बरी