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आपातकाल में सीएम ने खुद दिलवाई थी अनुमति
1976 के दौर में लगे आपातकाल के दौरान श्यामाचरण शुक्ल सीएम थे। संगम गेर के संयोजक प्रेमस्वरूप खंडेलवाल ने बताया कि, उस दौरान गेर की अनुमति नहीं मिल रही थी। हफ्तेभर पहले तत्कालीन एडीएम रावत और सीएसपी नरेंद्रसिंह ने कहा कि पैदल घूमते हुए गेर निकाल लो, इसका विरोध भी हुआ। बात सीएम तक पहुंच गई, जिसपर उन्होंने कलेक्टर से इसका रास्ता निकालने निकालने के निर्देश दिये। सूद साहब मल्हारगंज आए और आयोजकों से बोले- आप तो गेर निकालो, परंपरा में हम कहीं बाधा नहीं बनेंगे।
दंगे के माहौल में भी निकली गेर
टोरी कॉर्नर गेर के संयोजक शेखर गिरि के मुताबिक, 2002-03 में जब सूखा पड़ था, तब भी प्रशासन की ओर से कम पानी वाली गेर निकालने के निर्देश हुए थे, लेकिन तब भी ये निरस्त नहीं हुई। इसके अलावा 90 के दशक में रामजन्म भूमि आंदोलन के दौरान शहर का माहौल ठीक नहीं था, लेकिन तब भी कलेक्टर नरेश नारद ने हमें बुलाकर कहा था कि, आप लोग गेर जरूर निकालें। इसके उत्साह में माहौल बदलेगा और परिणाम स्वरूप शहर में तनाव कम हुआ था।
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हो चुकी थीं कई तैयारियां
जिसने भी गेर का आयोजन देखा है, वो जानता है कि, गेर परंपरा कितनी धूमधाम से मनाई जाती है। इधर प्रशासन की ओर निर्देश आने से पहले शहर के चारों गेर आयोजकों ने अपनी तैयारियां पूरी भी कर थीं। जहां रंग बरसाने के लिए टैंकरों पर मिसाइले कस ली गई थीं, हजारों किलों गुलाल लिया जा चुका था, गेर में शामिल होने बरसाने से कलाकार आ चुके थे, खंडवा से रामराज्य ढोल की टीम आ चुकी थी, पानी के सैकड़ों टैंकर आ चुके थे, 150 बोरी गुलाल आ गया है। यहां तक की गेर में जरूरत पड़ने वाले सभी संसाधनों के पैसे दिये चुके थे।