इंदौर की पहली महिला लोको पायलट अब दौड़ाएंगी ट्रेन, पांच साल के धैर्य का ऐसा मिला इनाम
रीना शर्मा विजयवर्गीय @ इंदौर. कहते हैं महिलाओं की क्षमता को कभी कम नहीं आंकना चाहिए। वो कब किस क्षेत्र में क्या कमाल करके दिखा दे कोई नहीं जानता है। सफलता भी वो पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर हासिल कर रही हैं। सफलता की ऐसी ही एक नई इबारत में अपना नाम जोडऩे जा रही है इंदौर की विनीता सिसौदिया।
जी हां विनीता जिले की वो पहली महिला है जो अब फर्राटेदार तरीके से ट्रेन दौड़ाएंगी। जगजीवन राम नगर में रहने वाली विनीता सिसौदिया ने इंदौर शहर से पहली महिला लोको पायलट बनकर अपने परिवार ही नहीं बल्कि शहर का भी नाम रोशन किया है। विनीता ने अपने जीवन में कई दुखों का सामना किया, लेकिन कदमों को हमेशा अपने लक्ष्य की ओर बढ़ाया। हाल ही में विनीता ने लोको पायलट की ट्रेनिंग लेन शुरू कर दी है और अब जल्द ही वो उज्जैन से इंदौर, भोपाल, रतलाम और अन्य कई शहरों तक ट्रेन दौड़ाएगी।
भाई को कराया बी फॉर्मा विनीता के पिता गोवर्धन लाल बसों में कुशन बनाते हैं। मां हंसा गृहिणी हैं। छोटी बहन और भाई हैं। ट्यूशन और कॉलेज में पढ़ाने के बाद विनीता ने भाई को बीफॉर्मा कराया। वह दवा दुकान संचालित करता है।
12वीं के बाद ली ट्यूशन विनीता ने बताया, आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण बारहवीं कक्षा के बाद दो साल का ड्रॉप लेना पड़ा , लेकिन मैंने पढ़ाई जारी रखी। इस दौरान मैंने बच्चो की ट्यूशन लेना शुरू कर दी और फिर भोपाल के गवर्नमेंट कॉलेज से बीटेक किया जहां फीस नहीं लगी। वर्ष 2012 में इंदौर आने के बाद इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाया और जब-जब रेलवे के फॉर्म निकलते में भर दिया करती थी लेकिन सालों तक सफलता हासिल नहीं हुई, लेकिन मैं फिर फॉर्म भरती और परीक्षा देती। पूरे पांच साल की मेहनत के बाद लक्ष्य को पाया।
ट्रेनिंग के दौरान मिली सफलता रेलवे वीक के दौरान उदयपुर में होने वाले क्विज कॉम्पीटिशन, टेबल टेनिस, सिंगिंग और तमाम प्रतियोगिताओं में विनिता ने भाग लिया और वहां से कई अवॉर्ड, सर्टिफिकेट और शिल्ड पाई। यहां से उन्हें स्पेशल अवॉर्ड भी मिला था।
11 जुलाई से शुरू हुई ट्रेनिंग 2018 अप्रैल में लोको पायलट के लिए चयन होने के बाद 11 जुलाई को ही मेरी ट्रेनिंग शुरू हुई। विनीता को उज्जैन हेड क्वार्टर मिला है जहां से वे अभी मालगाड़ी चलाएगी। फिलहाल वे असिस्टेंट लोको पायलट की पोस्ट पर है, लेकिन ट्रेनिंग पूरी होते ही इंदौर, भोपाल, उज्जैन और रतलाम व अन्य कई शहरों तक इलेक्ट्रिक इंजन के साथ ट्रेन चलाएंगी।
कुछ हटकर करना था विनीता की इच्छा कुछ हटकर करने की थी। इसलिए लोको पायलट के लिए तमाम परीक्षाएं दी। विनीता ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी की है, जिससे लोको पायलट में भी मदद मिली।
पिता ने बढ़ाया आत्मविश्वास विनीता ने कहा कि मेरे मार्गदर्शक राजू सैनी सर है, जिन्होंने मुझे खुद पर भरोसा करना सिखाया। पिता हर कदम पर आत्मविश्वास बढ़ाते बोलते खुद को कभी कमजोर मत समझना और जिस क्षेत्र में जाना है जाओं, मैं साथ हंू, उनके शब्द हमेशा दिल-दिमाग में है।
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