विक्रम गोस्वामी की ठगी की कहानी आपको आगे बताएंगे लेकिन पहले उसके बारे में जान लीजिए जो गिरफ्तारी के बाद सामने आई है। विक्रम के साथ पुलिस ने एक शहाबुद्दीन नाम के युवक को भी गिरफ्तार किया है। वह पश्चिम बंगाल का रहने वाला है। पुलिस पूछताछ में यह जानकारी सामने आई है कि विक्रम ने दो शादी की है। पहली पत्नी से एक बच्चा है। तलाक के बाद उसने बेटे के स्कूल में एडमिशन के लिए फर्जी कागजात तैयार किए। उसमें दूसरी पत्नी का नाम दर्ज करवाया।
इस ठगी गैंग का मास्टरमाइंड विक्रम गोस्वामी ने ठगी से पहले कई काम किया है। बताया जा रहा है कि वह इंदौर से पहले मुंबई, दिल्ली और कोलकाता जैसे शहरों में अलग-अलग काम किया है। जिसमें एंटिक करेंसी की खरीद-बिक्री, फायर वर्क से लेकर फुटपाथ पर तौलियां बेचने का भी काम शामिल है। लेकिन पिछले कुछ सालों से वह ठगी के काम में लग गया था।
पश्चिम बंगाल का रहने वाला शहाबुद्दीन ही लोगों को फंसाकर विक्रम गोस्वामी के पास लाता था। ठगी से पहले शहाबुद्दीन सर्राफा बाजार में आभूषणों के सौंदर्यीकरण का काम करता था। विक्रम ने उससे मुलाकात के दौरान बताया था कि वह सीबीआई में अफसर है। साथ ही उसे बताया कि वह रेडियोएक्टिव पदार्थ तैयार कर रहा है। यह करोड़ों में बिकता है। अगर इसमें कोई पैसा लगाएगा तो वह भी करोड़ों कमाएगा।
विक्रम गोस्वामी ने ये सारी जानकारी शहाबुद्दीन को देकर उसे भरोसा में लिया। पेपर और आईडी कार्ड देखने के बाद उसे विक्रम गोस्वामी की बातों पर भरोसा हो गया। उसके बाद यह विक्रम के लिए काम करने लगा। शहाबुद्दीन ज्वैलर्स और उनके यहां काम करने वाले लोगों को फंसाने लगा। बिजनेसमैन से एक लाख रुपये लगाने पर पांच करोड़ रुपये तक की कमाई ऑफर दिया जाता था। इतनी बड़ी रकम के चक्कर में लोग इसके जाल में फंसते गए।
फर्जी सीबीआई अधिकारी विक्रम गोस्वामी और शहाबुद्दीन बिजनेसमैन को कहता था कि विक्रम ने जिस रेडियोएक्टिव पदार्थ की खोज की है, उसे भारत सरकार को सौंप दिया है। यह बहुत ही कीमती वस्तु है। लेकिन उसने इस वस्तु को सरकार को सौंपते वक्त ग्रुप से कई लोगों को जुड़ा होना बताया था। इसलिए सरकार जब पैसा देगी तो वह और लोगों को भी राशि देगा। लेकिन इसके बदले में एक फॉर्म भरना होगा, जिसके बदले में उन्हें एक करोड़ से पांच करोड़ रुपये की राशि मिलेगी।
खुद को सीबीआई अधिकारी बताने वाला विक्रम गोस्वामी फॉर्म भरने के बदले में लोगों से करीब एक लाख रुपये की राशि भी लेता था। जिसके एवज में वह उन्हें रसीद भी देता था। इससे लोगों को यकीन हो जाता था कि सारी चीजें सही हैं। साथ ही कहता था कि इस मामले की पुलिस वेरिफिकेशन भी होगा। अगर किसी केस में नाम होगा तो ग्रुप से नाम कट जाएगा। इसने सभी को कहा था कि एक नवंबर तक खाते में राशि आ जाएगी।
विक्रम गोस्वामी खुद 11वीं पास है। लेकिन लोगों से ठगी के लिए उसने धांसू आइडिया तैयार किया था। इसके जाल में दर्जनों लोग फंसे हैं। पैसे नहीं आने पर लोगों ने पुलिस में शिकायत की थी। पुलिस अधिकारी ने कहा कि इसने करीब पचास लाख रुपये तक की ठगी है। पुलिस ने इसके पास से प्रिंटर और मुहर के साथ कई फर्जी कागजात बरामद किए हैं। पूछताछ के दौरान स्वीकार किया है कि कई दूसरे शहरों में भी इनलोगों ने ठगी की है।
इनलोगों ने की शिकायत
पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी विक्रम 2015 में आरोपी शहाबुद्दीन से सीबीआई अफसर मिलकर बना था। शहाबुद्दीन ने पुलिस को कहा कि फर्जी सीबीआई अफसर के साथ मिलकर उसने पश्चिम बंगाल के कई करीगर को अपने जाल में फंसाया। आरोपियों ने स्कीम का झांसा देकर बाजार में काम करने वाले शेख नुरूल हुदा से साढ़े पांच लाख, मीराजुल्लायक से साढ़े छह लाख, शेख संटू से तीन लाख दस हजार, शेख शोहराव अली से एक लाख चालीस हजार सहित कुल सत्रह लाख पचास हजार रुपये की धोखाधड़ी की।