दानपेटियों में अधिक दान आने पर उनकी सुरक्षा पर भी बहुत ध्यान रखा जाता है, कई छोटे मोटे मंदिरों से दान पेटियां भी चोरी हो जाती है, लेकिन ऑनलाइन दान करने से दानपेटियों की सुरक्षा की चिंता भी जिम्मेदारों को नहीं रहेगी और क्यूआर कोड स्कैन कर दान देने से राशि सीधे बैंक खाते में पहुंच जाएगी।
रणजीत मंदिर के प्रबंधक महेशचंद्र डाबी ने बताया, सितंबर में कार्ड से 98,965 और पेटीएम पर 1 लाख 35 हजार 560 रुपए आए। वहीं अगस्त तक आठ महीने के दौरान दान पेटी में 38.98 लाख रुपए आए। कुल मिलाकर ऑनलाइन दान डेढ़ से 2 लाख रुपए महीना आता है वहीं पेटी में साढ़े 6 से 7 लाख रुपए आता है। कुल दान का 35 से 40 फीसदी ऑनलाइन मिल रहा है।
ऑनलाइन दान की व्यवस्था से भक्त और प्रबंधन दोनों को सहूलियत होती है। भक्तों को जेब में रुपए रखने की जरूरत नहीं होती। वहीं दान देते समय खुल्ले पैसे का भी झंझट नहीं होता। स्कैन कर मनमर्जी राशि दी जा सकती है। वहीं मंदिर प्रबंधन की बात की जाए तो स्कैन करते ही प्रबंधन के बैंक खाते में तुरंत रुपया पहुंच जाता है। कितना दान आ रहा है इसका सीधा हिसाब बैंक स्टेटमेंट में रियल टाइम शो होता है। तुरंत खाते में रुपए आने पर प्रबंधन मंदिर कार्यों में राशि खर्च कर सकता है वहीं दान पेटियां निर्धारित समय पर ही खोली जाती है जिसका इंतजार करना पड़ता है।
शहर के सबसे बड़े मंदिर में शुमार खजराना गणेश मंदिर में ऑनलाइन दान की व्यवस्था नहीं है। एक साल पहले मंदिर प्रबंधन ने दो मशीनें जरूर परिसर में लगाई, लेकिन बाद में हट गई वहीं क्यूआर कोड जैसी व्यवस्था नहीं है। मंदिर प्रबंधक प्रकाश दुबे ने बताया, भक्तों की इसमें रुचि नहीं होने से बैंक ने मशीनें हटा दी थी। आगे विचार किया जाएगा। भक्त रोहन तावेड़ा ने बताया, आए दिन मंदिर के दर्शन के लिए जाता हूं। पेटीएम आदि की व्यस्था होना चाहिए कई बार खुले पैसे नहीं होते हैं ऐसे में दान देने में समस्या आती है। रणवीर सिंह शक्तावत कहते हैं जो ऑनलाइन लेनदेन ही करते हैं उनके लिए व्यवस्था नहीं होने से वे दान नहीं कर पाते। रणजीत मंदिर जैसी सुविधा खजराना में भी की जाए।