इंदौर शहर की एक, दो, तीन, चार और पांच नंबर सहित ग्रामीण की राऊ, देपालपुर, महू व सांवेर विधानसभा सीटों में कांग्रेस सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस प्रत्याशी विधानसभा चुनाव के साथ अपने बूथ और वार्ड पर भी हार गए। साथ ही इंदौर में रहकर दूसरी विधानसभा सीट से लडऩे वाले नेता भी जीत नहीं दर्ज करा पाए। विधानसभा चुनाव में कहां चूक हुई, कहां मेहनत में कमी रह गई और कहां कसर बाकी रही। विरोधी दल ने क्या जादू किया। संगठन स्तर पर प्रत्याशियों को क्यों मदद नहीं मिली? जिन बूथ पर कांग्रेस जीतते आई, वह इस बार क्यों हार गए? बूथ मैनेजमेंट कैसे कमजोर हो गया? इन तमाम सवालों के जवाब ढूंढने में कांग्रेस प्रत्याशी जुटे हैं, मगर शहर और जिला कांग्रेस संगठन के पदाधिकारियों ने 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम आने के बाद से अभी तक अपने स्तर पर चुनाव हारने का कारण पता करने की कोशिश नहीं की है। ऐसे में संगठन के बजाय प्रत्याशी खुद हार की समीक्षा करने जा रहे हैं। इसकी शुरुआत शहर की दो नंबर विधानसभा से होगी, क्योंकि प्रत्याशी ङ्क्षचटू चौकसे ने 17 दिसंबर को चुनाव हारने की समीक्षा खुद रखी है। यह समीक्षा कहां होगी, इसको लेकर आज स्थान तय हो जाएगा। दो नंबर विधानसभा की समीक्षा बैठक में 301 बूथ के समस्त कार्यकर्ताओं को चौकसे ने बुलाया है, ताकि यह मालूम पड़ सके कि विधानसभा चुनाव में इतनी शर्मनाक हार कैसे हुई। 1 लाख 7 हजार वोटों से हुई हार के इस कलंक को आने वाले समय में कैसे मिटाना है। इस पर मंथन करने के साथ आने वाले लोकसभा चुनाव और इसके आगे के लिए कांग्रेस को कैसे मजबूत किया जा सकता है, इसको लेकर बात की जाएगी। दो नंबर में कांग्रेस पार्टी कैसे एक्टिव रहे इसके लिए हर महीने हर बूथ पर बैठक करने की प्लाङ्क्षनग भी की जाएगी। चौकसे का कहना है कि हार का जो काला धब्बा लगा है, उसे मिटाया नहीं जा सकता। इस धब्बे को कैसे कम करना है, इसको लेकर सोचा जाएगा।