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ताकि सस्ते दाम पर लोगों को मिले सैनेटाइजर
हालांकि, अब तक इस सैनेटाइजर का फायनल लैब टेस्ट नहीं हुआ है, लेकिन होम्योपैथी के विशेषज्ञों और होम्योपैथी काउंसिल के सदस्यों के मुताबिक, ये सस्ता और कारगर सैनेटाइज उपयोगी है। बैचलर ऑफ होम्योपैथी मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएचएमएस) कर चुके यशवंत भाटी और शुभम शर्मा द्वारा रिसर्च कर सैनेटाइजर बनाया गया है। उनके मुताबिक, जब बाजार में सैनेटाइजर की डिमांड बढ़ने के कारण वो महंगा होने लगा, तो रिसर्च टीम के सदस्यों ने महसूस किया कि, क्यों न ऐसा सैनेटाइजर बनाया जाए, जो सस्ते दामों पर लोगों को उपलब्ध हो सके। इस उद्देश्य से कॉलेज की लैब में ही मौजूद संसाधनों से सैनेटाइजर तैयार किया गया।
इन चीजों के तैयार हुआ सैनेटाइजर
रिसर्च टीम के एक सदस्य के मुताबिक, सैनेटाइजर तैयार करने में अल्कोहल, कैलेंड्यूला क्यू (मदर टिंचर), एलोवेरा जेल और ग्लिसरीन का इस्तेमाल किया गया है। रिसर्च के दौरान इसका 30 लोगों पर प्रयोग भी किया गया, ये प्रयोग उन लोगों पर किया गया, जो सतत रूप से सैनेटाइजर इस्तेमाल करते हैं। उनके सुझावों के आधार पर सामग्रियों में बदलाव किया। टीम के सदस्यों के मुताबिक, 30 एमएल सैनेटाइजर बनाने में करीब 25 रुपए खर्च आया।
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रुखापन दूर करने के लिए एलोवेरा जेल और ग्लिसरीन
होम्योपेथी के जानकारों के मुताबिक, अल्कोहल और कैलेंड्यूला क्यू वैसे ही अपने आप में एंटिसेप्टिक और एंटीबैक्टेरियल होता है। लेकिन, इसके अधिक इस्तेमाल से हाथों में रूखापन आने का खतरा रहता है। इस समस्या के निदान स्वरूप इसमें एलोवेरा जेल और ग्लिसरीन का मिश्रण किया गया है, ताकि बार बार इस्तेमाल करने पर भी हाथों की नमी बनी रहे।
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होम्योपैथी में हैंडसेनेटाइजर बनाना संभव, पर…
आयुष मंत्रालय के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. ए.के द्विवेदी के मुताबिक, रबिंग अल्कोहल, कैलेंड्यूला क्यू, एलोवेरा जेल, ऑलिव ऑइल, टी ट्री ऑइल, ग्लिसरीन जैसी चीजों को मिलाकर कारगर हैंडसेनेटाइजर बनाया जा सकता है। हालांकि, एसकेआरपी गुजराती होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज के फार्मेसी विभाग के हेड डॉ. राजेश बोरडे के मुताबिक, युवाओं द्वारा बनाए गए सैनेटाइजर में होम्योपैथी के मापदंडों का सही इस्तेमाल किया गया है, लेकिन फिर भी फार्मास्यूटिकल लैब से जांच और प्रामाणित होने के बाद ही इसे कागरग सैनेटाइजर माना जाएगा।