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इंदौर

थैलेसीमिया बच्चों की मदद के लिए 36 घंटे चलेगा रक्तदान शिविर

मोबाइल वैन सहित पलंग की व्यवस्था भी की गई

इंदौरApr 15, 2023 / 11:20 am

Anil Phanse

थैलेसीमिया बच्चों की मदद के लिए 36 घंटे चलेगा रक्तदान शिविर

थैलेसीमिया बच्चों की मदद के लिए 36 घंटे चलेगा रक्तदान शिविर

इंदौर। शहर में थैलेसीमिया से पीडि़त बच्चों की मदद के लिए लगातार 36 घंटे रक्तदान आज सुबह 9 बजे से शुरू हुआ। यह शिविर एमवायएच और रेडक्रॉस सोसायटी के सहयोग से लगाया गया है। यह शिविर 16 अप्रैल को रात्रि 9 बजे तक चलेगा। भंवरकुआं के पास भोलाराम उस्ताद मार्ग पर आयोजित इस शिविर की खासियत ये है कि यह किसी संस्था या बैनर तले नहीं हो रहा है। सामाजिक सरोकार के रूप में होने वाले इस शिविर में सभी वर्गों की सहभागिता है। शिविर में कलेक्टर इलैया राजा टी सहित अन्य अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि भी शामिल होंगे। शिविर में रक्तदान के लिए मोबाइल वैन के साथ ही एक बड़े क्षेत्र में पलंग भी लगाए गए हैं, ताकि एक साथ बड़ी संख्या में लोग रक्तदान कर सकें।
बिना फायर एनओसी के चल रहे 112 निजी अस्पताल
इंदौर द्य स्वास्थ्य विभाग ने बिना फायर एनओसी के संचालित होने वाले अस्पतालों की सूची खंगाल ली है। दस्तावेजों की छानबीन के बाद ऐसे 112 निजी अस्पताल सामने आएं हैं, जो नगर निगम से बिना किसी फायर एनओसी के चल रहे हैं। इतना ही नहीं, इन्होंने स्वास्थ्य विभाग से नवीनीकरण की अनुमति भी नहीं ली है। स्वास्थ्य विभाग इन अस्पतालों को सात दिन का अल्टीमेटम दे रहा है। इसके बाद अस्पताल सील किए जाने के साथ ही पंजीकरण तक रद्द किया जाएगा।
बता दें कि स्वास्थ्य विभाग पिछले छह माह से शहर के नर्सिंग होम को लगातार फायर एनओसी के लिए चेतावनी देता आ रहा है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। हालांकि बीच-बीच में फायर एनओसी के लिए भोपाल से नए-नए नियम भी आते रहे हैं। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग भी ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहा। हाल ही में कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी ने स्वास्थ्य विभाग की बैठक के दौरान यह मुद्दा भी सामने आया था। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को साफ कर दिया कि शहर में बगैर नगर निगम की फायर एनओसी के अस्पताल , नर्सिंग होम संचालित नहीं होना चाहिए। इनके संचालन में नियमों को पालन होना चाहिए। जो अस्पताल नियमों को पालन ना करें, उन्हें बंद किया जाएं। कलेक्टर का सख्त रुख देेखकर स्वास्थ्य विभाग भी सक्रिय हो गया। छह माह से फाइलों पर जमी धूल साफ की गई। नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन शाखा के बाबू ने पड़ताल करते हुए जब सूचीबद्ध किया तो ऐसे 112 अस्पताल सामने आएं, जिनके पास नगर निगम की फायर एनओसी ही नहीं हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बीएस सैत्या ने कहा कि जिले में बिना अग्नि सुरक्षा उपायों के चल रहे 112 निजी अस्पतालों की पहचान की गई है। हम कलेक्टर के निर्देश पर इन अस्पतालों को सात दिनों का अल्टीमेटम दे रहे हैं। यह आखिरी नोटिस होगा। इसके बाद हम पंजीकरण रद्द करने और अस्पताल को सील करने की कार्रवाई करेंगे।
50 बिस्तर से कम क्षमता वाले अस्पतालों को देना होगा केवल सर्टिफिकेट- इधर, 16 जनवरी से फायर एनओसी के मामले में नए नियम सामने आ गए थे। इसमें 50 बिस्तर से कम क्षमता वाले अस्पतालों से फायर एनओसी के बजाए फायर सर्टिफिकेट लिए जाना है। नए नियमों के तहत कम से कम 50 बेड या 15 मीटर या उससे अधिक की ऊंचाई वाले अस्पताल भवनों या किसी भी स्तर पर 500 वर्ग मीटर के निर्माण क्षेत्र वाली सुविधाओं के लिए फायर एनओसी अनिवार्य है। डॉ. सैत्या ने बताया कि हमने ऐसे 60 अस्पताल ङ्क्षचहित किए हैं, जिन्हें फायर एनओसी की जरूरत नहीं हैं। इन अस्पतालों को अग्नि सुरक्षा विशेषज्ञों से प्रमाण पत्र के लिए एक सर्वेक्षण से गुजरना होगा।

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