दरअसल, इंदौर में बीजेपी से व्यापारियों की नाराजगी की जो वजह है, वो यह है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सड़क 60 फीट चौड़ी होनी है। इसकी वजह से कई छोटे दुकान और मकान टूट जाएंगे। इसके विरोध में पिछले तीन दिनों से बाजार बंद कर व्यापारी विरोध कर रहे थे। मंगलवार को व्यापारियों ने दुकानें खोलीं। लेकिन उसके बाहर एक बैनर लटका दिया कि हमारी भूल कमल का फूल।
व्यापारियों की शिकायत है कि सड़क की चौड़ीकरण से पंद्रह हजार लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। इसे लेकर व्यापारी और रहवासियों निगमायुक्त आशीष सिंह से मुलाकात की थी। उसके बाद निगम के लोग आए और बिना चर्चा किए हुए लौट गए। बीजेपी से नाराजगी इस वजह से है कि महापौर और विधायक को हमलोगों ने चुना। दोनों बीजेपी से हैं लेकिन हमारे मामले से उनलोगों ने दूरी बना ली है।
अगर व्यापारियों का बीजेपी से नाराजगी जारी रहा तो भारी नुकसान हो सकता है। इंदौर का शहरी इलाका बीजेपी का गढ़ है। और 2020 में महापौर का चुनाव होना है। ऐसे में अगर मकान तोड़े जाते हैं तो बीजेपी के प्रति लोगों में नाराजगी बढ़ेगी। क्योंकि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट भी बीजेपी सरकार की ही योजना है। लेकिन व्यापारियों के विरोध सामने आने के बाद बीजेपी नेताओं की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। साथ ही सभी नेताओं ने इसे लेकर चुप्पी साध ली है।
विरोध करने वाला जो तबका है, उनकी संख्या हजारों में है। वर्षों से लोग यहां कारोबार कर रहे हैं। सीतलामता बाजार में राजेश सेठ ने वर्ष 2003 में मकान खरीदा था। उन्होंने कहा कि उस वक्त भी मास्टर प्लान लागू था, लेकिन सड़क का कोई उल्लेख नहीं था। 1015 वर्ग फीट का मकान उन्होंने लोन लेकर निर्माण कराया था। एक साल पहले ही लोन चुकता किया है। इसमें से अब 450 फीट हिस्सा जा रहा है। ऐसे में तोड़ने और दोबारा निर्माण करने में 15 से 20 लाख रुपये खर्च होंगे।