गौरतलब है सिंधी समाज वर्षों से अपने मंदिरों व गुरुद्वारों में गुरुग्रंथ साहिब रखता आ रहा है। उसके पीछे की वजह उनका पुराना इतिहास भी है। अधिकतर सिंधी समाज पहले पाकिस्तान में रहता था और वहां पर गुरुनानक देवजी व गुरुग्रंथ साहिब को मानता आ रहा है। ये जरूर है कि वे अपने मंदिर में एक तरफ गुरुग्रंथ साहिब रखते हैं तो दूसरी तरफ सभी देवताओं की मूर्तियां भी होती हैं। उसकी पूजा पद्धति सिख समाज के अनुरूप नहीं है। अब गुरुग्रंथ साहिब को जमा कराने के बाद वर्षों पुरानी परंपरा खत्म हो जाएगी।
दो दिन पहले राजमहल कॉलोनी में एक सिंधी गुरुद्वारे पर निहंग कमेटी का जत्था पहुंचा था, जहां से वे श्री गुरुग्रंथ साहिब ले गए। उसके बाद सभी को चेतावनी दी कि वे 12 जनवरी तक ग्रंथ जमा करा दें। इस पर सिंधु नगर स्थित मोहन धाम में समाज की बैठक बुलाई गई। उसमें कमेटी का कहना था कि हम प्रीतमदास सभागृह में सभी गुरुद्वारों व मंदिरों से श्री गुरु ग्रंथ साहिब बुलाकर यहां से श्री गुरुसिंघ सभा को सौंप दें। इस पर बवाल हो गया।
हिंदू जागरण मंच के संजय भाटिया का कहना था कि समाज को तोडऩे की बात क्यों कर रहे हो? हमें ग्रंथ गुरुद्वारे में देने चाहिए। इस पर बैठक में मौजूद सभी वरिष्ठों ने सहमति जताई। आखिर में तय हुआ कि बुधवार को ही सभी मंदिरों व सिंधी गुरुद्वारों से ग्रंथ लौटाया जाएगा। समाज का मानना था कि किसी प्रकार का कोई विवाद करने की आवश्यकता नहीं है। 12 जनवरी की चेतावनी दी है तो उससे पहले ही जमा करा दिया जाए।