32 साल बाद भी वही चमक बरकरार
आरएसएस के पूर्व प्रचारक प्रमोद झा बताते हैं कि रामलला के जो वस्त्र वो छुपाकर अपने साथ ले आए थे अब वो उन्हें संग्राहलय को लौटाना चाहते हैं। उनका ये भी कहना है कि रामलला के वस्त्रों की जो चमक 32 साल पहले थी वो आज भी बरकरार है। वस्त्रों को छिपाने की वजह बताते हुए झा ने कहा कि बाबरी मस्जिद टूटने के बाद केंद्र सरकार ने तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी थी। कई बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। जिसके कारण उन्होंने इन वस्त्रों को सहेज कर रख लिया था।
राम भक्तों के लिए बड़ा ऐलान, फ्री में फ्लाइट से अयोध्या की यात्रा कराएगी सरकार
कार सेवक ने बताई बाबरी विध्वंस की आंखों देखी
कार सेवक और आरएसएस के पूर्व प्रचारक प्रमोद झा ने 1992 में हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस की आंखों देखी भी साझा की है। वो बताते हैं कि वो भी 1992 में कार सेवा करने के उद्देश्य से अयोध्या पहुंचे थे। वहां करीब पांच लाख कार सेवक अचानक बाबरी मस्जिद को तोड़ने के लिए उसके ऊपर चढ़ गए और तोड़फोड़ शुरु कर दी। इसी दौरान वो पीछे के रास्ते से गर्भगृह में चले गए। वहां रामलला विराजमान थे। उन्हें डर था कि मलबे में कहीं रामलला दब न जाए इसलिए उन्होंने तुरंत रामलला व वहां विराजित लक्ष्मण और मां कौशल्या की मूर्ति को वहां से हटाया और जो वस्त्र उन्होंने पहने हुए थे वो किसी के पैरों में न आ जाएं इसलिए उन्हें भी उतारकर अपने पास रख लिया। फिर अचानक वहां माहौल और बिगड़ गया जिसके कारण मूर्तियां संत को सौंपकर वो वस्त्र छिपाकर अपने साथ ले आए थे।