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अफसर हो तो ऐसा : बिन मां-बाप की 4 साल की बच्ची का कराया मुंबई में इलाज, दिल में थे 3 सुराख

अक्सर बीमार रहती थी बच्ची..दादी ने जनसुनवाई में अपर कलेक्टर से लगाई थी मदद की गुहार…

इंदौरOct 29, 2022 / 07:54 pm

Shailendra Sharma

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इंदौर. इंदौर के अपर कलेक्टर राजेश राठौड़ ने मदद की मिसाल पेश करते हुए एक चार साल की बच्ची को नई जिंदगी दिलाई है। दरअसल बिन मां-बाप की चार साल की मासूम बच्ची के दिल में तीन सुराख थे और उसके फेफड़े व वॉल्व में भी परेशानी थी। बच्ची की दादी जनसुनवाई में अपर कलेक्टर के पास मदद की गुहार लेकर पहुंची थी। जिसके बाद अपर कलेक्टर राजेश राठौड़ ने अपने स्तर पर बच्ची का मेडिकल चेकअप कराया और फिर मुंबई भेजकर उसका इलाज कराया। अब बच्ची पूरी तरह से ठीक है और बच्ची की दादी मदद के लिए अपर कलेक्टर राजेश राठौड़ को दिल से धन्यवाद के साथ ही दुआएं दे रही है।

 

अफसर ने पेश की मदद की मिसाल
शहर के जयश्री नगर में रहने वाली चार साल की बच्ची विशाखा के माता पिता ने लव मैरिज की थी और शादी के एक साल बाद जब विशाखा का जन्म हुआ उसके बाद माता-पिता में विवाद होने लगे। विशाखा की मां पति का घर छोड़कर मायके चली गई और कुछ दिनों बाद सुसाइड कर लिया था। इधर पत्नी के सुसाइड करने के बाद विशाखा का पिता डिप्रेशन में चला गया था और कुछ दिनों बाद उसने भी सुसाइड कर लिया था। जन्म के सालभर बाद ही माता-पिता के साथ छोड़ देने के बाद विशाखा को दादी केसरबाई पाल रही हैं। विशाखा की तबीयत अक्सर खराब रहती थी। गरीबी के कारण दादी केसरबाई उसका इलाज नहीं करा पा रही थीं इसलिए उन्होंने बीते दिनों जनसुनवाई में अपर कलेक्टर राजेश राठौड़ से मदद की गुहार लगाई थी। अपर कलेक्टर राजेश राठौड़ ने अपने स्तर पर विशाखा का मेडिकल चैकअप कराया तो पता चला कि उसके दिल में तीन सुराख हैं। इसके बाद उन्होंने तुरंत सुकन्या योजना में विशाखा का नाम दर्ज कराया और उसके खाते में डेढ़ लाख रुपए डलवाए। रेडक्रॉस से भी मदद ली और बाकी खर्चा खुद वहन करते हुए विशाखा को ऑपरेशन के लिए मुंबई भेजा। विशाखा के वॉल्व और फेफड़ों में भी परेशानी थी जिसका इलाज भी अपर कलेक्टर राजेश राठौड़ ने कराया और अब विशाखा पूरी तरह से स्वस्थ्य है और उसे नई जिंदगी मिली है।

 

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गरीब दादी के पास नहीं थे पैसे
विशाखा की दादी केसरबाई का कहना है कि अपर कलेक्टर राजेश राठौड़ ने मसीहा बनकर उनकी मदद की और उनके प्रयासों से अब विशाखा को नई जिंदगी मिली है। उसके पास तो इतने पैसे भी नहीं थे कि वो किसी मोहल्ले के क्लीनिक में जाकर विशाखा का इलाज करा पाती। दादी केसरबाई ने अपर कलेक्टर को दिल से धन्यवाद देते हुए दुआएं दी हैं।

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