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दुर्ग

ये कैसा खेल, मास्टर प्लान की आड़ में अनाज उगलने वाले खेतों में रातों रात बस रही कंक्रीट की बस्तियां

शासकीय जरूरत के लिए अधिग्रहण का भय दिखाकर जमीन कारोबारी कृषि भूमि को सस्ते दामों पर खरीद रहे हैं।

दुर्गFeb 26, 2018 / 11:18 am

Dakshi Sahu

patrika
दुर्ग . मास्टर प्लान में देरी का अवैध कॉलोनाइजर जमकर फायदा उठा रहे हैं। मसौदे में जिन इलाकों को नए आवासीय क्षेत्र प्रस्तावित किए गए हैं, वहां के लोगों को शासकीय जरूरत के लिए अधिग्रहण का भय दिखाकर जमीन कारोबारी कृषि भूमि को सस्ते दामों पर खरीद रहे हैं। फिर उसी जमीन को आवासीय व डायवर्टेड बताकर टुकड़ों में महंगे दाम पर बेच रहे हैं। दुर्ग-भिलाई के आउटर से लगे लगभग सभी गांवों में यह खेल धड़ल्ले से चल
रहा है।
दुर्ग-भिलाई के पहली बार संयुक्त मास्टर प्लान बनाया गया है। इसमें वर्ष 2031 तक आबादी के विस्तार और उनकी जरूरतों को ध्यान में रखकर नए आवासीय व दूसरे उपयोग के क्षेत्र प्रस्तावित किए गए हैं। प्लान में दुर्ग व भिलाई से लगे 100 गांवों को भी शामिल किया गया है। इनमें से अधिकतर गांवों में कृषि जमीन को नए आवासीय क्षेत्र प्रस्तावित किए गए हैं।
इन गांवों में किसानों से सस्ती दर पर जमीन खरीदकर महंगे दामों पर प्लाटिंग का खेल जमकर चल रहा है। प्लान में आवासीय के साथ ग्रीन लैंड,सड़क,शासकीय उपयोग व अन्य जरूरत के लिए भी इलाके प्रस्तावित किए गए हैं। इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं होने के कारण आवासीय को भी दूसरे प्रयोजन के लिए प्रस्तावित बताकर जमीन कारोबारी लोगों से जमीन खरीद रहे हैं। उसी जमीन पर प्लाटिंग कर नए मास्टर प्लान की स्वीकृति के साथ स्वमेव आवासीय हो जाने का हवाला देकर महंगी दाम पर बेंच रहे हैं।
जेवरा से दुर्ग तक शिवनाथ तक
जेवरा व सिरसाखुर्द में आईआईटी का भवन बन रहा है। आसपास आईआईटी के दूसरे भवन भी बनाए जाएंगे। इसके लिए चार जगह टुड़कों में भूमि सुरक्षित रखा गया है। इसे देखते हुए मास्टर प्लान में शिवनाथ के ग्रीन बेल्ट तक आवासीय घोषित किया गया है।
जेवरा से दुर्ग तक मुख्य मार्ग से शिवनाथ नदी किनारे तक प्लाटिंग पहुंच गया है। अवैध प्लाटिंग का कारोबार शिवनाथ के दूसरे छोर तक पहुंच गया है। महमरा, अंजोरा, रसमड़ा के आउटर से लेकर नगपुरा के आगे तक हर गांव में कृषि जमीन पर मुरुम की सड़के बनाकर अवैध प्लाटिंग कर ली गई है। अंजोरा रोड पर कालोनी तक खड़ी कर ली गई है।
धनोरा, उमरपोटी
नए मास्टर प्लान में दुर्ग से लेकर उतई तक नए आवासीय क्षेत्र प्रस्तावित किए गए हैं। यहां अवैध प्लाटिंग के कारण अभी से सघन आबादी बस गई है। धनोरा,रिसाली, उमरपोटी से लेकर उतई तक कृषि भूमि पर कॉलोनियां तन गई है। अकेले उतई में ही खेतों के बीच दर्जनभर कॉलोनियां बसाई जा चुकी है। वीके बगवैया, उप संचालक,ग्राम एवं नगर निवेश दुर्ग ने बताया कि मास्टर प्लान में केवल जमीन की उपयोगिता निर्धारित होती है। इसमें अधिग्रहण जैसा कोई भी प्रावधान नहीं होता। इसलिए किसी को भी भ्रम में पडऩे की जरूरत नहीं है। यदि कोई ऐसा भ्रम फैलाता है तो इसकी शिकायत पुलिस अथवा राजस्व अधिकारियों के समक्ष किया जाना चाहिए।
संजय अग्रवाल, एडीएम दुर्ग ने बताया कि अवैध प्लाटिंग के मामलों पर लगातार नजर रखी जा रही है। इसके लिए सभी राजस्व अधिकारियों क निर्देश दिए गए हैं। मामला सामने आने पर संबंधित लोगों पर कार्रवाई भी की जा रही है। रेवेन्द्र यादव, अध्यक्ष, सरपंच संघ ने बताया कि मास्टर प्लान में शामिल गांवों के जनप्रतिनिधियों को अंधेरे में रखकर आवासीय व दूसरे प्रयोजन के प्रस्ताव शामिल किए गए हैं। खामियाजा लोगों को भू-माफिया के मनमानी के रूप में चुकाना पड़ रहा।

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