महाराष्ट्र के विकास में इचलकरंजी का महत्वपूर्ण स्थान है। इचलकरंजी का तेजी से विकास हुआ है और आज यह कपड़ा उद्योग के प्रमुख केंद्रों में से एक बन गया है। इचलकरंजी का ऐतिहासिक महत्व है और इसे महाराष्ट्र का मैनचेस्टर भी कहा जाता है। घोरपड़े परिवार के संस्थापकों में से एक नारो महादेव ने 1708 ई. में इचलकरंजी को अपनी राजधानी बनाया था। इचलकरंजी के शासक ने इचलकरंजी में महल और अन्य सार्वजनिक इमारतों का निर्माण कराया। इचलकरंजी जागीर को 1949 में बॉम्बे प्रेसीडेंसी में मिला दिया गया लेकिन आजादी के बाद इस शहर का विकास तेज गति से हुआ। यह एक शैक्षणिक केंद्र भी है। कपड़ा और पावरलूम उद्योग के विकास ने यहां समृद्धि लाई है। इचलकरंजी अपनी सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए भी प्रसिद्ध है और इसकी सांस्कृतिक विरासत बहुत समृद्ध है।
2019 – प्रकाशअन्ना अवाडे- निर्दलीय
2014- सुरेश हलवनकर- भाजपा
2009- सुरेश हलवनकर- भाजपा
2004- प्रकाशअन्ना अवाडे -कांग्रेस
1999- प्रकाशअन्ना अवाडे -कांग्रेस
1995- प्रकाशअन्ना अवाडे- कांग्रेस
1990- के.एल.मालाबडे- भाकपा
1985- कल्लप्पा अवाडे -कांग्रेस
1980- कल्लप्पा अवाडे- कांग्रेस
1978- शिवगोण्डा पाटिल – भाकपा
इचलकरंजी निवासी बिजनेसमैन दूदावरसिंह अर्थण्डी ने कहा, क्षेत्र में बड़ी संख्या में पॉवरलूम इकाइयां हैं। ऐसे में इन इकाइयों को पर्याप्त बिजली दी जानी चाहिए। यहां कृष्णा एवं पंचगंगा नदियां बहती हैं। पहले पंचगंगा से पानी दिया जाता था। बाद में कृष्णा से पेयजल आपूर्ति की जाने लगी। राजस्थान मूल के लोग यहां कपड़े के कारोबार से बड़ी संख्या में जुड़े हुए हैं। यहां का कपड़े की देशभर में मांग है।