हुबली

मौजूदा चिकित्सा प्रणाली में सुधार की दरकार

पत्रिका गेस्ट राइटर: अनीता पवार, शिक्षिका, हुब्बल्ली

हुबलीJan 23, 2025 / 06:29 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

पत्रिका गेस्ट राइटर: अनीता पवार, शिक्षिका, हुब्बल्ली

बहुत अफसोस की बात है कि अस्पतालों में मानव जीवन का कोई मूल्य ही नहीं रह गया हैं। मनुष्य जीवन इस धरती पर कुदरत का दिया हुआ नायाब तोहफा है। जब जीवन शुरू हुआ होगा तब धीरे-धीरे सृष्टि का सृजन हुआ होगा। परिवार बने, रिश्ते-नाते बने, फिर एक ऐसा समय आता है हमारे लिए, हमारे परिवार और अपनों से बढ़कर कोई नहीं होता। जीवन है तो मृत्यु भी धरती पर अटल सत्य है। आजकल की इस बढ़ती हुई भाग-दौड़ भरी जिंदगी में और पैसा कमाने की होड़ में मनुष्य का स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है। सतयुग के बाद आया यह कलयुग जहां मनुष्य का एक दूसरे पर भरोसा, दूसरे के प्रति सम्मान सब कुछ खत्म हो चुका है। इंसान की जिंदगी क्या पैसों के सामने कुछ भी नहीं। भगवान के बाद यदि जीवनदाता के रूप में हम किसी को देखते हैं तो वह है चिकित्सक।
अस्पताल वह जगह है जहां मरीज के जाने के बाद हम सोचते हैं कि जिस व्यक्ति से हम इतना प्यार करते हैं वह हमें सही सलामत मिल जाएगा। इस बात से बहुत लोग सहमत होंगे। एक बार जो व्यक्ति अस्पताल चला गया और अगर उसे बहुत दिनों तक वहां रहना पड़ गया तो घर की सारी जमा पूंजी अस्पताल में लग जाती है। कलयुग के इस समय में मरीज अगर गरीब परिवार से है तो उसका इलाज निजी अस्पताल में होना नामुमकिन है। और सरकारी अस्पतालों की बात की जाए तो वहां की व्यवस्था इतनी बिगड़ चुकी है कि मरीज को कोई देखने वाला ही नहीं। अगर गलती से इस व्यवस्था के खिलाफ कोई आवाज उठाता है तो उसके बाद उसे कोई सुनने वाला ही नहीं है। सरकार भ्रष्ट है यह नहीं कह सकते, लेकिन सरकारी अस्पताल और निजी अस्पताल लोगों के जीवन के साथ खेल तो नहीं रहे? इसका कौन पता लगाएगा। मरीज के परिवार से बेहिसाब खर्च करवाया जाता है इलाज के नाम पर। मरीज ठीक होगा या नहीं होगा या फिर कब तक ठीक होगा, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती।
निसंदेह कुछ ऐसे लोग और ऐसी संस्थाएं भी हैं जो मानवता की सेवा जैसे पुण्य कार्य में लगी हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि अस्पताल को कमाई का जरिया न समझ कर इंसानियत दिखाई जाए। किसी अस्पताल या डॉक्टर के लिए शायद वह इंसान सिर्फ एक मरीज होगा परंतु किसी परिवार का वह इकलौता सहारा भी हो सकता है जिसकी वजह से किसी का पूरा संसार चलता होगा। सरकार को चाहिए कि समय-समय पर ऐसे अभियान चलाएं जिससे यह पता चल सके कि सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ लोगों को मिल रहा है या नहीं। इस विषय पर आम जनता के विचार जानना बहुत आवश्यक है।

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