राजपूत समाज के लोग नवरात्रि का पर्व भी उमंग एवं उत्साह के साथ मना रहे हैं। इस दौरान बेंगलूरु रोड स्थित माताजी मंदिर में कई धार्मिक आयोजन भी रखे जाते हैं। दिवाली, होली समेत अन्य पर्व-त्योहार भी समाज के लोग उत्साह के साथ मनाते हैं। समाज के लोग शादी-विवाह के आयोजन राजस्थान में ही रख रहे हैं। आपसी मेलजोल की भावना से आगे बढ़ रहे हैं। समाज के लोगों का राजस्थान से भी बराबर संपर्क बना हुआ है। समय-समय पर राजस्थान जाते हैं। अपनी जन्मभूमि के लिए भी योगदान देते रहते हैं।
समाज के अधिकांश परिवार राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र से हैं। राजस्थान के बालोतरा, जालोर, पाली एवं सिरोही जिलों से अधिक हैं। समाज के लोग यहां विभिन्न व्यवसाय में संलग्न है। अधिकांश लोग कपड़े. रेडिमेड, इलेक्ट्रिकल्स, मोबाइल, हार्डवेयर समेत अन्य बिजनेस में हैं। समाज के के लोग मेहनत, लगन एवं ईमानदारी के साथ व्यवसाय करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। राजस्थान के रीति-रिवाज, परम्पराओं के साथ ही संस्कृति को बनाए रखने में समाज के लोग महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। विभिन्न पर्व-त्योहारों के अवसर पर राजस्थान की संस्कृति देखने को मिल रही है।
राजस्थान राजपूत समाज के अमरसिंह काम्बा कहते हैं, समाज के मनोहर सिंह बिशनगढ़ वर्ष 1977 में बल्लारी आए थे। इसके बाद से समाज के लोगों का बल्लारी आने का क्रम बना हुआ है। बल्लारी में राजपूत समाज के करीब एक सौ प्रतिष्ठान है। वर्ष 1990 तक समाज के लोगों के पांच प्रतिष्ठान थे। वर्ष 2000 के बाद से समाज के लोगों के आने का क्रम तेज हुआ। हालांकि मौजूदा समय में फिर से राजस्थान से कर्नाटक आने का क्रम कम हुआ है। राजस्थान में रोजगार उपलब्ध होने के चलते बाहरी राज्यों में कम लोग जा रहे हैं। नई पीढ़ी राजस्थान में ही बिजनेस को प्राथमिकता देने लगी है। कई लोग राजस्थान से गुजरात भी जा रहे हैं। लेकिन दक्षिणी राज्यों तक कम लोग आ रहे हैं।