राजस्थान पत्रिका के साथ बातचीत में संगीता भरत संघवी ने कहा, गुरु भगवंतों की कृपा एवं उनके आशीर्वाद से यह सब कर पाई। तप करने के लिए मन को साधना पड़ता है। जो मन को साध ले वह जीत जाता है। देव गुरु कृपा से शक्ति मिलती है। तप तपाता है और जीवन को कुंदन बनाता है।
जालोर जिले के सियाणा मूल की संगीता संघवी इससे पहले भी एक बार 11 उपवास एवं दो बार आठ उपवास कर चुकी हैं। एक बार आठ का उपवास मौन रहकर किया। वे कहती हैं, वैसे तो तप करना कठिन है लेकिन यदि मन में ठान लिया जाएं और दृढ़ संकल्प हो तो तप आसान लगने लगता है। भगवान तप करने की ताकत भी दे देता है।
संघवी ने बताया कि 17 उपवास हुब्बल्ली में करने के बाद शेष 13 उपवास मुम्बई में पूरे कर पिछले दिनों रक्षाबंधन के दिन पारणा किया। उनके बेटे करीब एक वर्ष पहले हुब्बल्ली में दीक्षा ले चुके हैं और अब मुनि चैत्यशेखर बने है। मुम्बई में आचार्य विजय अजीतशेखर सूरीश्वर का चातुर्मास चल रहा है। मुनि चैत्यशेखर भी मुम्बई में चातुर्मास कर रहे हैं। संगीता संघवी ने मुम्बई के मलाड (ईस्ट) स्थित शांतिनाथ जैन भवन में पारणा किया।