मंदिर के सबसे पीछे के हिस्से में 24 तीर्थंकर जिनालय बना है। यहां नाकोड़ा भैरूजी, घंटाकर्ण, मणिभद्र समेत अन्य प्रतिमाएं भी हैं। मंदिर परिसर में ही शिव-पार्वती, राम-सीता, राधा-कृष्ण का मंदिर बना है। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार के पास ही रामसा पीर, साईं बाबा, मारुति मंदिर भी बने है। मंदिर परिसर में नारियल, सागवान, आम, चंदन समेत कई किस्मों के पेड़-पौधे लगे हैं।
वर्तमान में मंदिर की देखरेख कर रहे शांतिलाल बागरेचा ने बताया कि उनके पिता पारसमल जैन एक बार मोहनखेड़ा तीर्थ गए थे। वहांं से आने के बाद उनकी मंदिर बनाने की इच्छा जगी। इसके लिए उन्होंंने बुदरसिंघी में मंदिर के लिए जगह देखी। बाद में मंदिर का निर्माण करवाया।
पाश्र्वनाथ राजेन्द्र जैन श्वेताम्बर तीर्थ के सचिव शांतिलाल बागरेचा ने बताया कि पिछले कई वर्षों से सर्वधर्म सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। हर साल पौष शुक्ल षष्ठी, सप्तमी एवं अष्ठमी को धार्मिक आयोजन होता है। पिछले करीब छह वर्ष से षष्ठी के दिन हुब्बल्ली से बुदरसिंघी तक पैदल यात्रा निकाली जाती है। सप्तमी के दिन मंदिर में ध्वजा चढ़ाई जाती है। अष्ठमी को गुरु प्रसादी का आयोजन किया जाता है। मंदिर का 41 वां महोत्सव अगले साल 6 जनवरी को मनाया जाएगा। मंदिर परिसर में छोटी गौशाला का संचालन भी किया जा रहा है।