डिम्पल राठौड़ ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि कराटे के लिए रोजाना प्रैक्टिस जरूरी है। इसके साथ ही धैर्य रखना पड़ता है। कराटे कठिन परिश्रम मांगता है। परिवार का सपोर्ट मिलना भी मायने रखता है। पिता एवं माता के साथ ही परिवार का उसे पूरा सपोर्ट मिलता है। कोच शरथ सकिन से वह प्रशिक्षण ले रही है। डिम्पल छठी कक्षा से कराटे सीख रही है और कराटे की ब्राउन में प्री-ब्लैक बेल्ट लेवल तक पहुंची है। कराटे की शुरुआत व्हाइट लेवल से होती है। फिर यलो, ऑरेन्ज, ग्रीन, ब्ल्यू एवं परपल होता है। इसके बाद ब्राउन में चार श्रेणी आती है। जिसमें चतुर्थ क्यू, तृतीय क्यू, सेकंड क्यू एवं प्री-ब्लैक होती है। यह दस स्तर पार करने के बाद ब्लैक शुरू होता है और इसमें 11 डैन (श्रेणियां) है।
कराटे में दो कैटेगरी होती है। एक काटा और दूसरे कुमटे। डिम्पल काटा खेलती है। इसके तहत अपना कौशल अधिक दिखाना होता है। यह तेज गति से खेला जाता है। डिम्पल रोजाना चार से छह घंटे कराटे की प्रैक्टिस में बिता रही है। उसने बकायदा डाइट चार्ट बना रखा है और इसी के अनुसार भोजन की नियमित दिनचर्या का पालन करती है।
डिम्पल राठौड़ ने दसवीं तक की पढ़ाई हुब्बल्ली के डी.के.पब्लिक स्कूल से की। वर्तमान में चिन्मया कॉलेज में बारहवीं (वाणिज्य) में अध्ययनरत है। डिम्पल खेल के साथ पढ़ाई में भी होनहार है। दसवीं कक्षा में 92 फीसदी तथा 11 वीं 94 फीसदी अंक हासिल कर चुकी है।
डिम्पल राठौड़ मूलत राजस्थान के सिरोही जिले के शिवगंज की मूल निवासी है। पिता देवीसिंह राठौड़ का हुब्बल्ली में खिलौनों का व्यवसाय है। माता संगीतादेवी राठौड़ गृहिणी है। बड़ी बहन कुंजल राठौड़ फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर रही है। छोटा भाई किरणसिंह राठौड़ दसवीं तथा भवानसिंह राठौड़ छठी कक्षा में अध्ययनरत है।