हुब्बल्ली के गब्बुर गली स्थित श्री रामदेव मंदिर परिसर में कथा श्रवण कराते हुए कथावाचक पुष्करदास ने कहा, हम मोह के मायाजाल में स्वयं तो फंसे ही हैं, अन्य को भी इस दलदल में अपने साथ घसीट लिया है। जब तक हम स्वयं इस बात को स्वीकार नहीं करेंगे कि मोह का यह मायाजाल हमारी ही अपनी मानसिक रुग्णता का परिणाम है, तब तक हम इससे बाहर निकल नहीं पाएंगे। यदि हम अपना उद्धार चाहते हैं, तो हमें सभी प्रकार की इच्छा-कामनाओं का त्याग करना होगा। संसार में जिसे भी हम अपना मानने लगते हैं, उससे हमें मोह हो जाता है और फिर हम उससे तनिक भी दूर नहीं रह पाते हैं। लोग अपनी सुख-सुविधा की चीजों का उपयोग करते हैं और उनके मोह में फंस जाते हैं। मोह की वजह से आगे नहीं बढ़ पाते।
श्री रामदेव मरुधर सेवा संघ हुब्बल्ली के तत्ववाधान में आयोजित कथा के दौरान उन्होंने कहा, इंसान मोह माया में सब कुछ भूल चुका है, यही मनुष्य के दुखों का कारण है। जो मनुष्य स्वार्थी होकर अपने कर्मो के फलों को भोगने लग जाते हैं, वह अपने लिए आप ही कांटे बो लेते हैं तथा उनके लिए कर्म बंधनों से छुटकारा पाना मुश्किल हो जाता हैं। जब तक हर तरह के मोह का त्याग न किया जाए, हर तरह के अधिकार न छोड़े जाएं, तब तक त्याग करना बहुत मुश्किल होता है। यदि ग्रस्त भी मोह में फंसे रहेंगे तब तक वह दुखी ही रहेंगे। इसलिए मोह-माया का त्याग जरूरी है।
श्री रामदेव मरुधर सेवा संघ हुब्बल्ली के केसाराम चौधरी ने बताया कि सोमवार को सुरेश दवे, सुरेश लोहार, चम्पालाल राजपुरोहित एवं गोविन्द दर्जी की ओर से प्रभावना रखी गई एवं आरती की गई। संघ के अध्यक्ष उदाराम प्रजापत एवं सचिव मालाराम देवासी ने बताया कि कथा की पूर्णाहूति 4 सितम्बर को होगी।