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मौजूदा दौर में गांधी के सिद्धांत समूची दुनिया के लिए पथ-प्रदर्शक का काम कर सकते हैं

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में प्रवासियों ने रखी अपनी बात

हुबलीOct 02, 2024 / 06:11 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में अपनी बात रखते प्रवासी।

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में अपनी बात रखते प्रवासी।

आज जरूरत इस बात की है कि हम नफरत, लड़ाई-झगड़े एवं अविश्वास के दौर से बाहर निकलें और परस्पर एक-दूसरे पर भरोसा कायम कर सकें। अब समय शान्ति, विश्वास और सहिष्णुता के एक नए युग में प्रवेश करने का है। महात्मा गांधी ने जो शांति का संदेश समूची दुनिया को दिया उसे अपनाते हुए पूरी मानवता के लिए हमें शांतिपूर्ण भविष्य के लिए काम करने की जरूरत है। विश्व में शांति के प्रतीक के रूप में देखे जाने वाले और भारत की स्वाधीनता में अहम भूमिका निभाने वाले महात्मा गांधी की जयंती पर हमें इस बात का प्रण लेना होगा कि हम शांति, सहिष्णुता और अहिंसा रूपी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कंधे से कंधे मिलाते हुए साथ देंगे।
बेहतर भविष्य के लिए नफरत की दीवार तोड़ें
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2007 में एक प्रस्ताव पारित करके 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाए जाने का निर्णय लिया था। तब से हर वर्ष 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्म दिवस को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मना रहे हैं। महात्मा गांधी का संदेश आज अधिक प्रासंगिक हो गया है। अनेक चुनौतियों का सामना कर रही आज की दुनिया के लिए महात्मा गांधी के सिद्धान्त एक पथ प्रदर्शक का काम कर सकते हैं। दुनिया की चुनौतियों से निपटने का मतलब है कि एक मानव परिवार के रूप में एकजुट होना और एक दूसरे को इस तरह अपनाना जैसा पहले कभी नहीं हुआ। सभी के बेहतर भविष्य के लिए हमें नफरत की दीवार को तोडऩे की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर हुब्बल्ली (कर्नाटक) में आयोजित राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में प्रवासियों ने अपनी बात रखी। प्रस्तुत हैं उनके विचार:
जीवन में अहिंसा महत्वपूर्ण
बालोतरा जिले के अजीत निवासी तथा पूर्व सरपंच छगनलाल भूरट ने कहा, भगवान महावीर स्वामी ने अहिंसा को प्राथमिकता दी थी। तभी से जैन समाज अहिंसा की पालना कर रहा है। अहिंसा के माध्यम से कोई भी कार्य आसानी से पूरा किया जा सकता है। जीवन में अहिंसा महत्वपूर्ण है। जैन समाज सदैव अङ्क्षहसा में विश्वास करने वाली कौम रही है। शांति में अधिक विश्वास करती है।
गांधी ने विश्व में फैलाई अहिंसा
गुजरात के कच्छ जिले के अंजार निवासी तथा लायंस क्लब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मनोज मणिक ने कहा, पहले भगवान महावीर स्वामी ने अहिंसा का पाठ पढ़ाया। बाद में महात्मा गांधी ने अहिंसा को आगे बढ़ाया और समूचे विश्व में फैलाया। अब हर साल 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती अहिंसा दिवस के रूप में मनाई जा रही है। हिंसा से नुकसान ही है। हम प्रेम से हर चीज पर विजय पा सकते हैं।
शांति की सीख दी गांधी ने
बालोतरा जिले के असाड़ा निवासी तथा तेरापंथ सभा हुब्बल्ली के अध्यक्ष पारसमल भंसाली ने कहा, महात्मा गांधी ने अहिंसा के बल पर ही अंग्रेजों को देश छोडऩे पर मजबूर किया। अहिंसा के बल पर आजादी दिलाने में महात्मा गांधी का बड़ा योगदान रहा। गांधी ने सच्चे मायने में शांति की सीख दी। अहिंसा से हर कार्य सुगम हो जाता है। देश को आज गांधी जैसे अहिंसा के पुजारियों की जरूरत है।
अहिंसा के बल पर बदलाव संभव
बालोतरा जिले के कोटड़ी निवासी एवं नाकोड़ा मंदिर ट्रस्ट के पूर्व ट्रस्टी हीराचन्द तातेड़ ने कहा, किसी को कटु वचन कहना भी हिंसा की श्रेणी में आता है। किसी को मानसिक रूप से आघात पहुंचाना भी हिंसा है। अहिंसा वह हथियार हैं जिसके बल पर हम परिवार, समाज एवं देश में बदलाव ला सकते हैं। अहिंसा के माध्यम से कोई भी कार्य आसानी से पूरा हो सकता है।
आजादी में अहिंसा का बड़ा योगदान
पाली जिले के घाणेराव निवासी एवं जीतो हुब्बल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रकाश कोठारी ने कहा, हमें अहिंसा परमो धरम के सूत्र वाक्य का पालन करना चाहिए। महात्मा गांधी ने अहिंसा को जीवन में अपनाया। इसी का परिणाम रहा कि देश की आजादी में अहिंसा का बड़ा योगदान रहा। अहिंसा के माध्यम से हम बहुत आगे बढ़ सकते हैं। देश में भी कई ऐसे लोग हैं जो सही मायने में अहिंसा के पुजारी बनकर काम कर रहे हैं।
मानसिक हिंसा से दूर रहें
पाली जिले के खुडाला निवासी चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट भरत भंडारी ने कहा, मौजूदा दौर में देश में अहिंसा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। अहिंसा सीधे-सीधे शाकाहार से भी जुड़ा है। कई बड़े सेलेब्रिटी आज शाकाहार को अपना रहे हैं। शाकाहार स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। हमें मानसिक हिंसा से भी दूर रहना चाहिए।
अहिंसा का अ ही अहम
बालोतरा जिले के कोटड़ी निवासी बिजनेसमैन जसराज तातेड़ ने कहा, अहिंसा का अ शब्द बहुत मायने रखता है। यदि अहिंसा से अ हटा दिया जाएं तो यह हिंसा बन जाता है। वहीं यदि हिंसा के आगे अ लगा दिया जाएं तो अहिंसा बन जाता है। एक रूप में देखा जाएं तो पेड़ को काटना भी एक तरह की हिंसा ही है।

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