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हुबली

क्षत्रिय घांची समाज का दीपावली स्नेह मिलन समारोह, पारम्परिक वेशभूषा में शामिल हुए समाज के लोग

सहयोगियों एवं अतिथियों का किया सम्मान

हुबलीNov 04, 2024 / 03:27 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

समारोह में परम्परागत परिधान में पहुंची घांची समाज की महिलाएं।

समारोह में परम्परागत परिधान में पहुंची घांची समाज की महिलाएं।

श्री क्षत्रिय घांची समाज हुब्बल्ली-धारवाड़ का दीपावली स्नेह मिलन समारोह हुब्बल्ली (कर्नाटक) के केशवापुर स्थित रायगर गेस्ट हाउस में आयोजित किया गया। इस अवसर पर समाज के लोगों ने एक-दूसरे को दीपावली की शुभकामनाएं दीं। समारोह में समाज के लोग सपरिवार शामिल हुए। इस मौके पर समाज के लोगों ने कहा कि दीपावली खुशियों का त्योहार है। हमें आपस में मिल-जुलकर इसे मनाना चाहिए। गजानंद भगवान एवं सांवलाजी भगवान की तस्वीर स्थापना व आरती के साथ समारोह की शुरुआत हुई।
समाज के लोगों ने लिया बढ़-चढ़ कर हिस्सा
इस अवसर पर समारोह के चढ़ावा लेने वाले सहयोगी परिवार एवं अतिथियों का सम्मान किया गया। इस मौके पर आगामी वर्ष दीपावली स्नेह मिलन समारोह के चढ़ावे की बोलियां बोली गईं जिसमें समाज के लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। साथ ही गत वर्ष का लेखा-जोखा पेश किया गया। समाज के लोग पारम्परिक वेशभूषा में समारोह में शरीक हुए।
घांची समाज का इतिहास 890 साल पुराना
श्री क्षत्रिय घांची समाज हुब्बल्ली-धारवाड़ के अध्यक्ष वेलाराम बोराणा धानसा ने बताया कि श्री क्षत्रिय घांची समाज हुब्बल्ली-धारवाड़ की स्थापना वर्ष 2009 में की गई। समाज की ओर से हर साल दीपावली स्नेह मिलन समारोह आयोजित किया जा रहा है। घांची समाज के हुब्बल्ली में वर्तमान में करीब 65 परिवार निवास कर रहे हैं। वहीं धारवाड़ में पांच परिवार है। समाज के अधिकांश लोग राजस्थान के बालोतरा, जालोर, पाली एवं सांचौर जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि घांची समाज का नाम घाणी से बना है। घांची का अर्थ यही है कि घा यानी घाणी चलाने वाले। ची यानी राजा जयसिंह की चिन्ता दूर करने से घाणी का घा चिन्ता का ची मिलकर घांची कहलाए। घांची समाज के लोग 890 साल पहले गुजरात से मारवाड़ में आकर बसे थे। कभी घांची समाज के लोग तेल के व्यवसाय से जुड़े थे, मगर बाद में दूध, कैटरिंग समेत अन्य व्यवसाय में नाम कमाया। राजस्थान के जोधपुर, सिरोही, पाली, जालोर, सांचौर, बालोतरा जिलों में घांची समाज के लोगों की तादाद अधिक है। घांची जाति का उदभव क्षत्रिय जाति से हुआ है इसलिए घांची समाज को क्षत्रिय घांची समाज के नाम से भी जाना जाता है।

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