scriptPhalodi Satta Bazar: कैसे काम करता है फलोदी सट्टा बाजार? इन दो ‘Code Word’ पर टिका है सारा खेल | How does the Phalodi Satta Bazar work? The whole game is based on these two keywords | Patrika News
राष्ट्रीय

Phalodi Satta Bazar: कैसे काम करता है फलोदी सट्टा बाजार? इन दो ‘Code Word’ पर टिका है सारा खेल

Phalodi Satta Bazar: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत तेज है, इसी बीच फलोदी सट्टा बाजार पर भी सियासी दलों की नजर है।

नई दिल्लीJan 21, 2025 / 03:45 pm

Anish Shekhar

play icon image
Phalodi Satta Bazar: फलोदी सट्टा बाजार सबसे ज्यादा अपने सटीक आकलन को लेकर सुर्खियों में बना रहता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे को लेकर फलोदी सट्टा बाजार में किसका भाव ज्यादा चल रहा है। किसका भाव कम इसकी चर्चा देश भर में हो रही है। हालांकि भारत में सट्टेबाजी अवैध है। इसलिए फलोदी का सट्टा बाजार रहस्यमयी तरीके से चलता है। सब कुछ गोपनीय तरीके से होता है। सट्टे का दायरा राजनीति, क्रिकेट, मौसम और अन्य घटनाओं तक फैला हुआ है।

चुनावी सट्टेबाजी के प्रकार

चुनावों के दौरान सट्टेबाजी विभिन्न स्तरों पर की जाती है:
टिकट वितरण पर सट्टा – अमुक पार्टी किसी विशेष उम्मीदवार को टिकट देगी या नहीं?
सीटों की संख्या पर सट्टा – कोई पार्टी कुल कितनी सीटें जीतेगी?
उम्मीदवार की जीत पर सट्टा – कौन सा उम्मीदवार किसी खास सीट से जीतेगा?
मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री पद पर सट्टा – किसे सरकार बनाने का मौका मिलेगा?

बाजार की दरें और उतार-चढ़ाव

सट्टा बाजार की दरें हर घंटे बदल सकती हैं, यह इस पर निर्भर करता है कि नए राजनीतिक समीकरण कैसे बन रहे हैं।
यहां दो मुख्य शब्द प्रचलित हैं – ‘खाना’ और ‘लगाना’। ‘खाना’ का मतलब उस पर दांव लगाना है जिसकी जीतने की संभावना कम है। ‘लगाना’ का मतलब मजबूत दावेदार पर दांव लगाना है। दरें इस आधार पर तय होती हैं कि किसी पार्टी या उम्मीदवार की जीत की संभावनाएं कितनी अधिक या कम हैं। अगर किसी पार्टी के ज्यादा सीटें जीतने की संभावना कम है, तो उस पर उच्च ऑड्स मिलते हैं, यानी अगर वह जीतती है तो बड़ा मुनाफा होगा। अगर किसी पार्टी की जीत तय मानी जा रही है, तो उस पर कम ऑड्स मिलते हैं, यानी मुनाफा कम होगा।

पैसे का लेन-देन और भरोसे का तंत्र

स्थानीय लोगों के लिए सट्टा लगाने के लिए पैसे पहले से जमा करने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि सट्टेबाज उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते हैं। बाहरी लोगों के लिए पहले नकद या डिजिटल माध्यम से पैसा जमा करना अनिवार्य होता है। अब लेन-देन का बड़ा हिस्सा मोबाइल वॉलेट और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए किया जाता है

सट्टेबाज चुनावी रुझान कैसे समझते हैं?

फलोदी सट्टा बाजार में अलग-अलग राज्यों से जुड़े एजेंट होते हैं, जो स्थानीय राजनीति, जातीय समीकरण और जनभावनाओं की जानकारी देते हैं। हर सुबह 10 बजे बाजार खुलता है, और शाम 5 बजे तक करोड़ों का सट्टा लगाया जा चुका होता है। लोग फोन पर ही दांव लगाते हैं, और अगर वे जीतते हैं तो भुगतान मोबाइल वॉलेट या अन्य माध्यमों से किया जाता है। इस बाजार में राजनेताओं, विधायकों, सांसदों और यहां तक कि मंत्रियों तक की दिलचस्पी रहती है, क्योंकि यह एक वैकल्पिक जनमत सर्वेक्षण की तरह काम करता है।

फलोदी सट्टा बाजार की सटीकता

इस बाजार की सटीकता का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। यह मीडिया रिपोर्ट्स, स्थानीय लोगों की राय और एजेंटों की जानकारी पर निर्भर करता है। कई बार इसकी भविष्यवाणियां सही साबित हुई हैं, जिससे इसकी लोकप्रियता बढ़ी है।
फलोदी सट्टा बाजार चुनावी नतीजों की भविष्यवाणी के लिए एक अनौपचारिक लेकिन चर्चित माध्यम बन चुका है। हालांकि यह अवैध है, फिर भी यह भारतीय राजनीति के अंदरूनी समीकरणों को समझने का एक रोचक जरिया बना हुआ है।

Hindi News / National News / Phalodi Satta Bazar: कैसे काम करता है फलोदी सट्टा बाजार? इन दो ‘Code Word’ पर टिका है सारा खेल

ट्रेंडिंग वीडियो