राज्य सरकार ने डॉ. प्रेमचंद बैरवा को इस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है। उनके साथ मंत्री गजेंद्र सिंह, मंत्री मदन दिलावर, और मंत्री सुमित गोदारा को सदस्य बनाया गया है। स्कूल शिक्षा सचिव समिति के सचिव के रूप में कार्य करेंगे।
समिति को सौंपी ये जिम्मेदारियां
जानकारी के मुताबिक भजनलाल सरकार ने समिति को स्कूलों की वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन करना, छात्रों और शिक्षकों की संख्या की समीक्षा करना, नई शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप स्कूलों की आवश्यकता का मूल्यांकन और स्कूलों के इंग्लिश मीडियम से हिंदी मीडियम में बदलने की संभावनाओं पर निर्णय करने की जिम्मेदारी सौंपी है।
क्या है विवाद का कारण?
अशोक गहलोत सरकार ने प्रदेश के गरीब परिवारों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू किए थे। इन स्कूलों को इंग्लिश मीडियम में बदलने के लिए उस समय बड़ी मशक्कत की गई थी। गरीब और ग्रामीण परिवारों के हजारों बच्चों ने इनमें दाखिला भी लिया था। अब सरकार बदलने के बाद इन स्कूलों की उपयोगिता और नई शिक्षा नीति के अनुरूप इनके संचालन पर सवाल उठ रहे हैं।
मंत्री मदन दिलावर ने दिया था ये बयान
बताते चलें कि कुछ माह पहले शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा था कि महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों की समीक्षा की जा रही है। यह देखा जा रहा है कि क्या इन स्कूलों की जरूरत है और क्या यह नई शिक्षा नीति के अनुरूप हैं। समीक्षा के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। गौरतलब है कि महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों के भविष्य को लेकर उठ रहे सवालों ने प्रदेश में अब एक नई बहस छेड़ दी है।