वहीं जब सुषमा 19 साल की हुई तो उन्हें राष्ट्रीय फैलोशिप के लिए चुना गया। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय यानि बीबीएयू के उन 5 छात्रों में सुषमा ने जगह बनाई है, जिन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा एनएफआरसी कैटेगिरी में राष्ट्रीय फैलोशिप के लिए चुना गया है। इनमें मोनिका पटेल, सुनीता ठाकुर, सना असलम और ऋचा वर्मा के नाम शामिल हैं।
एक जूनियर रिसर्च फेलो को हर महीने 25 हजार रुपए मिलते हैं। जबकि एक सीनियर रिसर्चर को हर महीने 28 हजार रुपये दिए जाते हैं। सुषमा वर्मा अपनी इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहती हैं ‘मेरे लिए यह सुखद है कि मैंने इस सूची में जगह बनाई है।’ सुषमा के पिता तेज बहादुर जोकि बीबीएयू में सहायक पर्यवेक्षक हैं। वो बताते हैं कि उनकी बेटी 10 साल की थी जब उसने बारहवीं की परीक्षा पास कर ली थी। इस उम्र में स्कूल खत्म करने के लिए उसका नाम ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में भी दर्ज हुआ था।