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भूविज्ञानियों का कहना है कि धरती के अंदर सात टेक्टोनिक्ट प्लेटें (Plate tectonics) हैं। भारत इंडो-आस्ट्रेलियन प्लेट (Indo-Australian Plate)पर टिका है। यह प्लेट लगातार यूरेशियन प्लेट से टकरा रहीं हैं। इनके टकराने से हिमालय क्षेत्र, हिंदूकुश क्षेत्र प्रभावित होने के साथ ही फॉल्ट लाइन(Fault Line) तक प्रभावित होने से इनमें सक्रियता बढ़ गई है।
विज्ञानियों ने दावा किया है कि दिल्ली और हरियाणा के आसपास पांच फॉल्ट-रिज लाइन(Fault ridge Line) हैं। इनमें से जब दो प्लेटों के जोड़ में कोई हलचल होती है तो रिज क्षेत्र में अंतर बढ़ता है। इससे भूकंप का असर होने के आसार बन जाते हैं। रिर्सच में पता चला है कि फॉल्ट लाइन लिक्विड पर तैरती रहती हैं। फॉल्ट लाइन में दरारें भी होती हैं। जब भी प्लेट टकराती हैं तो लिक्विड पर तैरने वाली फॉल्ट लाइन में कुछ हलचल होती है। कुछ महीने बाद यह हलचल शांत हो जाती है।
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वरिष्ठ विज्ञानी और नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलॉजी (National Center for Seismology) के चीफ (ऑपरेशंस) डॉ. जेएल गौतम (J.L Gautam) ने बताया कि दिल्ली और हरियाणा के आसपास पांच फॉल्ट-रिज लाइन में महेंद्रगढ़-देहरादून (Mahendragarh-Dehradun Fault line)सक्रिय है। इनकी वजह से ही हरियाणा के चार जोन प्रभावित होते हैं। इतना ही नहीं महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट लाइन रोहतक शहर के ठीक नीचे से गुजर रही है। इसलिए जमीन के अंदर की मामूली हलचल भूकंप के रूप में होती है।
वहीं दिल्ली-हरिद्वार रिज फॉल्ट लाइन और दिल्ली-सरगोदा फॉल्ट लाइन से दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रभाव पड़ता है। मथुरा फॉल्ट लाइन से ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद व इस फॉल्ट लाइन में दिल्ली का क्षेत्र प्रभावित होता है। सोना फॉल्ट लाइन से गुरुग्राम क्षेत्र प्रभावित होता है।
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जेएल गौतम (J.L Gautam) का मानना है कि वे भूकंप, जिनकी तीव्रता 4.0 से कम होती है, उनसे नुकसान की आशंका बेहद कम होती है. न के बराबार. यह हल्की एडजेस्टमेंट का नतीजा है, जो खतरनाक नहीं होते। हाल ही में दिल्ली-एनसीआर में आए भूकंप हल्के तीव्रता वाले थे। लेकिन पिछले एक महीने में दर्ज की गई चीजें मामूली हैं और उन्होंने थोड़ी ऊर्जा जारी की है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि बड़े भूकंप की आने की आशंका नहीं है
वहीं देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (Wadia Institute of Himalayan Geology)
के निदेशक डॉ कलाचंद सैन (Kamlachand sain) ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि इंडियन प्लेट्स के आंतरिक हिस्से में बसे दिल्ली-एनसीआर में भूकंप का लंबा इतिहास रहा है। एनसीआर क्षेत्र में लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं, जो दिल्ली में एक बड़े भूकंप की वजह बन सकती है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि डेढ़ महीने के अंतराल पर 10 से ज्यादा भूकंप के झटके आने के बाद दिल्ली-एनसीआर में बड़ी तबाही आ सकती है। यह बड़े भूकंप आने के संकेत है। कलाचंद ने बताया कि दिल्ली वैसे भी उच्च भूकंपीय क्षेत्र में आती है और एनसीआर तकरीबन 573 मील के दायरे तक फैला हुआ है।
Earthquake Risk Evaluation Centre के पूर्व प्रमुख डॉक्टर एके शुक्ला (A.K Shukla) का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में आए की श्रृंखला ने आने वाले समय में दिल्ली में बड़े भूकंप के संकेत दिए हैं। दिल्ली में भूकंप के बढ़ते झटकों की एक वजह लोकल फॉल्ट सिस्टम है, जो काफी एक्टिव है। ये फॉल्ट सिस्टम 6 से 6.5 के आसपास की तीव्रता के भूकंप लाने की क्षमता रखते हैं और ये तीव्रता दिल्ली को बहुत नुकसान पहुंचाने में सक्षम है।