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88 साल पहले हुई थी पक्षियों और इंसानों के बीच लड़ाई, बुरी तरह से हारे इंसान

आज से 88 वर्ष पूर्व यानि 1932 में ऐसी रोचक घटना ऑस्ट्रेलिया में घटी थी, जिसमें प्रथम विश्वयुद्ध के सेवानिवृत्त सैनिकों और जंगली पक्षी एमु के बीच युद्ध हुआ था। यह युद्ध छह दिन तक चला था। 6 दिन चले इस ऑपरेशन में सैनिक केवल 50 एमुओं को ही मार पाए।

Nov 13, 2020 / 08:56 am

सुनील शर्मा

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इंसानों के बीच युद्ध की घटनाएं तो होती रहती हैं, लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि इंसान और पक्षियों के बीच युद्ध हुआ हो। नहीं न, लेकिन ऐसा हुआ है। आज से 88 वर्ष पूर्व यानि 1932 में ऐसी रोचक घटना ऑस्ट्रेलिया में घटी थी, जिसमें प्रथम विश्वयुद्ध के सेवानिवृत्त सैनिकों और जंगली पक्षी एमु के बीच युद्ध हुआ था। यह युद्ध छह दिन तक चला था। 6 दिन चले इस ऑपरेशन में सैनिक केवल 50 एमुओं को ही मार पाए। इस रोचक घटना के बारे में जो भी सुनता है, उस सहसा इस पर विश्वास नहीं होता, लेकिन यह सच है। पिछले कुछ दिनों से यह घटना सोशल मीडिया पर खासी सुर्खियां बटोर रही है। लोग भी इस पर मजेदार कमेंट करते हुए इसे शेयर कर रहे हैं।
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फसलों पर एमू के हमले से शुरू हुई कहानी
दरअसल प्रथम विश्वयुद्ध के बाद सेवानिवृत्त हुए कुछ सैनिकों को ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने पुनर्वास के लिए जमीनें दी थी। इनमें से ज्यादातर जमीनें पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में थी। ये सैनिक वहां गए और खेती करने लगे, लेकिन कुछ समय बाद ही किसान बन चुके सैनिकों की फसलों पर विशालकाल जंगली पक्षी एमू ने हमला कर नहीं। एमू एक-दो नहीं बल्कि पूरे 20,000 से भी ज्यादा थे। तब इनके खिलाफ सैन्य अभियान चलाना पड़ा। इस घटना को एमू वॉर या द ग्रेट एमू वॉर के नाम से जाना जाता है।
सेना की इस टुकड़ी ने किया था एमू पक्षी का सामना
जब एमू का हमला फसलों पर ज्यादा बढ़ गया तो किसानों के एक प्रतिनिधमंडल ने सरकार के पास जाकर अपनी समस्या बताई। समस्या सुनने के बाद ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन रक्षामंत्री ने मशीनगन से लैस सेना की एक टुकड़ी इन किसानों की फसलों की रक्षा के लिए भेजी। दो नवंबर 1932 को सरकार द्वारा भेजी गई सेना ने एमू के झुंड को भगाने के लिए ऑपरेशन शुरु किया, लेकिन सैनिकों को सफलता हाथ नहीं लगी। हमले से पहले ही एमू वहां से भाग निकलते थे। ऐसा कहा जाता है कि एमू इसके बाद काफी सतर्क हो गए और खुद को बचाने के लिए छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट लिया। हर टुकड़ी का एक एमू सैनिकों पर नजर रखता था और हमला होने की स्थिति में वह दूसरे एमुओं को सतर्क कर देता था। हार कर सरकार ने अपनी सेना वापिस बुला ली।

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