क्या होता है टाइम कैप्सूल (Time capsule)? दरअसल, टाइम कैप्सूल (Time capsule) एक बॉक्स होता है। ज्यादातर ये तांबे का बना होता है क्यों कि तांबा ज्यादा समय तक पृथ्वी के अंदर सुरक्षित रह सकता है। इसके साथ ही इसे ऐसे बनाया जाता है कि ये हर तरह के मौसम और परिस्थिति में मिट्टी में सुरक्षित रहे। दशकों पहले टाइम कैप्सूल को कांच के डिब्बे या बोतल में बनाया जाता था लेकिन समय के साथ इसमें कई बदलाव किए गए। टाइम कैप्सूल को जमीन के अंदर इस लिए दफनाय जाता है ताकि सैकड़ों-हजारों सालों बाद अगर वे जगह किसी वजह से तवाह हो जाए तो वहां पुरातत्वविदों को उस जगह का इतिहास आसानी से पता चल सके।
भारत में कहते हैं काल-पत्र (Kaal patr) टाइम कैप्सूल (Time capsule) को अपन देश में काल-पत्र भी कहा जाता है। यहां कई ऐसी ऐतिहासिक धरोहर है जहां टाइम कैप्सूल को जमीन में दबाया गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 70 के दशक में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने भी एक काल-पत्र लाल किले के 32 फीट नीचे दबवाया था। इसके बाद साल 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने पर मोरारजी देसाई ने इसे बाहर निकलवाया हालांकि इस बारे में किसी को पता नहीं कि उस काल-पत्र में क्या लिखा था।लेकिन कई लोगों को लगता है कि कालपत्र में इंदिरा ने अपने परिवार के बारे में लिखवाया था।
बेकार हो सकता है टाइम कैप्सूल (Time capsule) ? कई पुरातत्वविद और कई इतिहास कारों का मानना है कि बहुत बार कैप्सूल में गैर जरूरी जानकारियाँ डाल दी जाती हैं। इसके साथ ही कई बार टाइम कैप्सूल (Time capsule) में दबी चीजें कंप्यूटर की भाषा में होती है जो आज से सैकड़ों-हजारों साल बाद मिले तो शायद किसी काम का ना रहे।