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एक रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर डंकन मैकडॉगल ने एक बेहद हल्के वजन वाले फ्रेम का एक खास तरीके का बिस्तर बनाया जिसे उन्होंने अस्पताल में मौजूद उस बड़े तराजू पर फिट किया। उन्होंने कई लोगों पर प्रयोग किया। जो लोग गंभीर रूप से बीमार थे और उनके बचने की उम्मीद ना के बराबर थी। उन लोगों की मरने की प्रक्रिया को करीब से देखा है। अपने उनके शरीर के वजन को नोट करते रहे। करीब छह साल तक चले इस प्रयोग में कुल 6 मामलों पर ही शोध किया गया था। एक समस्या ये भी थी कि दो डॉक्टरों के जमा किए आंकड़ों को शोध में शामिल नहीं किया गया था।
वैज्ञानिक समुदाय ने उनके शोध के नतीजों को मानने से इनकार ही नहीं किया बल्कि उनके प्रयोग की वैधता को मानने से भी इनकार कर दिया। लेकिन डॉक्टर डंकन ने जिन छह लोगों पर शोध किया था उसमें से पहले के शरीर में आया बदलाव आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है। इसी शोध के आधार पर अब भी कई लोग कहते हैं कि इंसान की आत्मा का वजन तीन चौथाई औंस या फिर 21 ग्राम होता है। ये डॉक्टर डंकन के पहले सब्जेक्ट के शरीर में मौत के बाद आया बदलाव था। इस प्रकार शरीर और आत्मा के वजन को जांच ने पर यह पाया गया कि इंसान की आत्मा करीब 21 ग्राम की होती है।