वैसे तो पूरे भारत में ही भगवान शिव के मंदिर मौजूद हैं और विशेष महत्व भी रखते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसी जगह भी है जहां भगवान शिव साल के 12 महीने जलमग्न रहते हैं। मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार यहां शिवलिंग की स्थापना च्यवन ऋषि ने की थी। उनके आह्वान पर मां नर्मदा गुप्त रूप से प्रकट हुई थीं और शिवलिंग का प्रथम अभिषेक किया था। तभी से यहां एक वटवृक्ष से जलधारा निकलती है, जिससे शिवलिंग जलमग्न रहता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रकेश्वर मंदिर की स्थापना करीब तीन हजार साल पहले च्यवन ऋषि ने की थी। बताया जाता है कि यहां माता नर्मदा ने च्यवन ऋषि को दर्शन दिए थे। इस मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि यहां भक्तों को पानी के अंदर उतर कर ही शिव आराधना करनी होती है।
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि इस मंदिर कि जब च्यवन ऋषि ने इसी जगह पर तपस्या करने के लिए इस मंदिर को स्थापित किया तो नर्मदा नदी करीब 60 किलोमीटर दूर थी। ऋषि को नहाने के लिए रोज इतना लम्बा सफर तय करना पड़ता था। उनकी लगन को देखकर मां नर्मदा बेहद खुश हुईं और ऋषि को दर्शन देते हुए कहा कि मैं स्वयं ही यहां आपके मंदिर में आ रही हूं। अगली सुबह जलधारा फूट पड़ी नर्मदा उसी जगह पहुंच गईं। बताते हैं कि च्यवन ऋषि के बाद भी कई ऋषियों ने यहां तप किया था, जिनमें सप्त ऋषि प्रमुख थे।