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यहां हमेशा जलमग्न रहते हैं भगवान शिव, 3000 साल पहले हुआ था एेसा चमत्कार

यहां विशेषकर श्रद्धालु सावन मास के सोमवार में आते है और नर्मदा कुंड में स्नान कर जल मग्न शिवलिंग के दर्शन प्राप्त करते हैं।

Jul 30, 2018 / 01:43 pm

Vinay Saxena

यहां हमेशा जलमग्न रहते हैं भगवान शिव, 3000 साल पहले हुआ था एेसा चमत्कार

नई दिल्ली: आज सावन का पहला सोमवार है। आज के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। ज्योतिष के अनुसार श्रावण माह में सोमवार का व्रत रखने और भगवान शिव की अराधना से सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। परिवार में सुख शांति रहती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर साल सावन के महीने में शिवजी पृथ्वी पर आते हैं। इसलिए इस महीने में शिव की पूजा में भक्त लीन रहते हैं। इस मौके पर हम आपको भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जो विशेष महत्व रखता है।
यहां हमेशा जलमग्न रहते हैं भगवान शिव


वैसे तो पूरे भारत में ही भगवान शिव के मंदिर मौजूद हैं और विशेष महत्व भी रखते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसी जगह भी है जहां भगवान शिव साल के 12 महीने जलमग्न रहते हैं। मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार यहां शिवलिंग की स्थापना च्यवन ऋषि ने की थी। उनके आह्वान पर मां नर्मदा गुप्त रूप से प्रकट हुई थीं और शिवलिंग का प्रथम अभिषेक किया था। तभी से यहां एक वटवृक्ष से जलधारा निकलती है, जिससे शिवलिंग जलमग्न रहता है।
तीन हजार साल पहले हुआ था मंदिर का निर्माण


पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रकेश्वर मंदिर की स्थापना करीब तीन हजार साल पहले च्यवन ऋषि ने की थी। बताया जाता है कि यहां माता नर्मदा ने च्यवन ऋषि को दर्शन दिए थे। इस मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि यहां भक्तों को पानी के अंदर उतर कर ही शिव आराधना करनी होती है।
एेसी है मान्यता
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि इस मंदिर कि जब च्यवन ऋषि ने इसी जगह पर तपस्या करने के लिए इस मंदिर को स्थापित किया तो नर्मदा नदी करीब 60 किलोमीटर दूर थी। ऋषि को नहाने के लिए रोज इतना लम्बा सफर तय करना पड़ता था। उनकी लगन को देखकर मां नर्मदा बेहद खुश हुईं और ऋषि को दर्शन देते हुए कहा कि मैं स्वयं ही यहां आपके मंदिर में आ रही हूं। अगली सुबह जलधारा फूट पड़ी नर्मदा उसी जगह पहुंच गईं। बताते हैं कि च्यवन ऋषि के बाद भी कई ऋषियों ने यहां तप किया था, जिनमें सप्त ऋषि प्रमुख थे।
सावन के सोमवार को लगता है भक्तों का तांता

यहां विशेषकर श्रद्धालु सावन मास के सोमवार में आते है और नर्मदा कुंड में स्नान कर जल मग्न शिवलिंग के दर्शन प्राप्त करते हैं। सिर्फ मंदिर ही नहीं इसके आसपास बहुत सारे दर्शनीय व ऐतिहासिक स्थल हैं तथा इस मंदिर के समीप ही एक प्रतिहार कालीन प्रतिमा है, जिसे एक पत्थर पर उकेरा गया है, जो एक दुर्लभ प्रतिमा है।

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